Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Mar, 2018 04:14 AM
मुस्लिमों में प्रचलित बहुविवाह और निकाह हलाला को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने नोटिस जारी कर केन्द्र सरकार व विधि आयोग से जवाब मांगा है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति...
नई दिल्ली: मुस्लिमों में प्रचलित बहुविवाह और निकाह हलाला को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सोमवार को उच्चतम न्यायालय ने नोटिस जारी कर केन्द्र सरकार व विधि आयोग से जवाब मांगा है।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाई. चन्द्रचूड़ की 3 सदस्यीय खंडपीठ ने समता के अधिकार का हनन और लैंगिक न्याय सहित कई बिन्दुओं पर दायर जनहित याचिकाओं पर आज विचार किया। 3 जजों की पीठ ने मामले में नोटिस जारी करते हुए मामला संविधान पीठ को भेज दिया है।
पीठ ने कहा कि बहुविवाह और निकाह हलाला के मुद्दे पर सुनवाई के लिए 5 सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया जाएगा। बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथा के खिलाफ अधिवक्ता और दिल्ली भाजपा प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने अपनी जनहित याचिका में दावा किया कि मुस्लिम महिलाओं को उनके बुनियादी अधिकार दिलाने के लिए इन प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाना वक्त की जरूरत है।
क्या है निकाह हलाला
जिस व्यक्ति ने तलाक दिया है उसी से दोबारा शादी करने के लिए महिला को पहले किसी अन्य व्यक्ति से शादी करनी होती है और तलाक लेना होता है। उसके बाद ही दोबारा पूर्व पति से शादी हो सकती है। इस प्रक्रिया को निकाह हलाला कहते हैं। वहीं बहुविवाह एक ही समय में एक से अधिक पत्नियां रखने की प्रथा है।