पति-पत्नी को यौन संबंधों के लिए मजबूर करने के प्रावधानों के खिलाफ याचिका पर केन्द्र को नोटिस

Edited By Pardeep,Updated: 15 Mar, 2019 11:50 PM

noticetocenter on the petition against the provisions for forced sexualrelations

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अलग रह रहे पति-पत्नी को ‘‘यौन संबंध बनाने’’ के लिए मजबूर करने के कानूनी प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती वाली याचिका पर केन्द्र का जवाब मांगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति...

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को अलग रह रहे पति-पत्नी को ‘‘यौन संबंध बनाने’’ के लिए मजबूर करने के कानूनी प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती वाली याचिका पर केन्द्र का जवाब मांगा।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इस याचिका पर केन्द्र को नोटिस जारी किया। याचिका में कहा गया कि ये कानून महिलाओं के साथ ‘‘गुलाम’’ जैसा व्यवहार करते हैं और ये निजता के अधिकार सहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं।

ओजस्व पाठक और मयंक गुप्ता ने हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा नौ, विशेष विवाह अधिनियम की धारा 22 और दीवानी प्रक्रिया संहिता के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी थी। ये कानूनी प्रावधान अदालतों को अलग रह रहे पति पत्नी के वैवाहिक अधिकारों को बहाल करने का आदेश पारित करने का अधिकार देते हैं।       

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