अब आयुर्वेद डॉक्टर भी कर सकेंगे सर्जरी, सरकार ने दी मंजूरी, जानिए IMA ने क्या कहा?

Edited By Yaspal,Updated: 22 Nov, 2020 08:00 PM

now ayurveda doctors will also be able to do surgery now what ima said

देश में अब आयुर्वेद के डॉक्टर भी मरीजों की सर्जरी कर सकेंगे। भारत सरकार ने आयुर्वेद के स्नातकोत्तर (PG) छात्रों को सामान्य सर्जरी की अनुमति दे दी है। इसके तहत डॉक्टर हड्डीरोग, नेत्र विज्ञान, नाक-कान-लगा (ENT) और दांतों से जुड़ी सर्जरी कर सकेंगे...

नेशनल डेस्कः देश में अब आयुर्वेद के डॉक्टर भी मरीजों की सर्जरी कर सकेंगे। भारत सरकार ने आयुर्वेद के स्नातकोत्तर (PG) छात्रों को सामान्य सर्जरी की अनुमति दे दी है। इसके तहत डॉक्टर हड्डीरोग, नेत्र विज्ञान, नाक-कान-लगा (ENT) और दांतों से जुड़ी सर्जरी कर सकेंगे।

सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, आयुर्वेदिक अध्ययन के पाठ्यक्रम में सर्जिकल प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल को जोड़ा जाएगा। इसके लिए अधिनियम का नाम बदलकर भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (स्नातकोत्तर आयुर्वेद शिक्षा) संशोधन विनियम, 2020 कर दिया गया है।

दरअसल, देश में आयुष चिकित्सा की प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों की ओर से लंबे समय से एलोपैथी के समान अधिकार देने की मांग हो रही थी। नए नियमों के मुताबिक, आयुर्वेद के छात्र पढ़ाई के दौरान ही शल्य (सर्जरी) और शालक्य चिकित्सा को लेकर प्रशिक्षित किए जाएंगे। छात्रों को शल्यचिकित्सा की दो धाराओं में प्रशिक्षित किया जाएगा और उन्हें एमएस (आयुर्वेद) जनरल सर्जरी और एमएस (आयुर्वेद) शालक्य तंत्र (नेत्र, कान, नाक, गला, सिर और सिर-दंत चिकित्सा का रोग) जैसी शल्य तंत्र की उपाधियों से सम्मानित भी किया जाएगा।

हालांकि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि इस तरह की अनुमति देने से चिकित्सा वर्ग में खिचड़ी हो जाएगी। अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा का कहना है कि मिश्रित पैथी की वजह से देश में हाइब्रिड डॉक्टरों को बढ़ावा मिलेगा। वहीं इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (आयुष) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर पी पाराशर का कहना है कि मोदी सरकार ने आयुष चिकित्सा को बढ़ावा देने को लेकर शुरू से संतोषजनक काम किया है। नया आदेश वर्तमान में देश की चिकित्सीय व्यवस्था के लिए बेहतर साबित होगा।

सर्जरी आयुर्वेद की देन
इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (आयुष) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर पी पाराशर का कहना है कि 'विश्व के पहले सर्जन सुश्रुत थे जो आयुर्वेद चिकित्सा से जुड़े थे। विश्व में सर्जरी आयुर्वेद की देन है। ऐसे में सरकार अनुमति देती भी है तो इससे किसी भी पैथी को संकट नहीं है। यह अधिकार आयुर्वेद का है और उसे अब मोदी सरकार ने दिलाया है।'

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