अब शिवसेना के ज्यादा नखरे उठाने होंगे भाजपा को, इस 50-50 राग के कई सुर हैं

Edited By Seema Sharma,Updated: 25 Oct, 2019 08:46 AM

now bjp will have to raise more tantrums of shiv sena

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा ने अपने साथी शिवसेना के साथ 200 पार का जो लक्ष्य रखा था, वह अब घटकर 150 के आसपास आने से भारतीय जनता पार्टी क्या सोच रही है, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण शिवसेना का रवैया हो गया है। यूं तो शिवसेना की भी...

नई दिल्ली(अकु श्रीवास्तव) : महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा ने अपने साथी शिवसेना के साथ 200 पार का जो लक्ष्य रखा था, वह अब घटकर 150 के आसपास आने से भारतीय जनता पार्टी क्या सोच रही है, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण शिवसेना का रवैया हो गया है। यूं तो शिवसेना की भी पिछली बार की तुलना में कम सीटें आई हैं लेकिन उसने अपने तेवर ऐसे रखे हैं जैसे वह अकेले दम पर सरकार बनाने जा रही है।

 

यह लगभग वैसे ही हो रहा है जैसे हरियाणा में नवजात जननायक जनता पार्टी (जे.जे.पी.) 90 में से 10 सीटें पाने से मुख्यमंत्री पद का सपना देखने लगी है। लगता है कि हरियाणा में कुछ भी हो सकता है, का युग फिर से शुरू होने जा रहा है। उधर महाराष्ट्र में भाजपा के अपने दम पर 135 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य टायं-टायं फिस्स हो गया। वैसे ही जैसे हरियाणा में अबकी बार 75 पार का लेकिन महाराष्ट्र में जो परिवर्तन हुआ, उसमें भाजपा सरकार बनाने के लिए शिवसेना पर पूरी तरह निर्भर हो गई है। शिवसेना नेता संजय राऊत ने रुझान देखने के बाद वीरवार दोपहर से पहले ही जैसे ही कहा कि शिवसेना, भाजपा की सरकार 50-50 की भागेदारी पर चलेगी, शाम होते-होते शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का रुख और कड़ा हो गया और उन्होंने कह दिया कि अब हम भाजपा के पुराने प्रस्ताव नहीं मानेंगे। यानी शिवसेना पूरा मोल-तोल करेगी। अब सवाल है कि इस फिफ्टी-फिफ्टी का मतलब क्या है?

 

अढ़ाई-अढ़ाई साल का मुख्यमंत्री
क्या फिफ्टी-फिफ्टी से शिवसेना का मतलब उस फार्मूले से है, जिसमें बारी-बारी से अढ़ाई-अढ़ाई साल दोनों पाॢटयों का मुख्यमंत्री रहता है? चुनाव प्रचार के दौरान उद्धव ठाकरे यह भावुक बयान दे चुके हैं कि वह एक शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनवाकर अपने पिता बाल ठाकरे का सपना पूरा करना चाहते हैं। इस बार पहली बार ठाकरे परिवार में से किसी ने चुनाव भी लड़ा। उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे जो युवा सेना के प्रमुख हैं, वर्ली से बड़े अंतर से जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। आदित्य कम से कम उपमुख्यमंत्री तो होंगे ही। मुम्बई में मंत्रालय (प्रदेश सरकार का मुख्यालय) के छठे माले (मुख्यमंत्री का फ्लोर ) की सत्ता में उनका दखल कितना होगा, यह देखना होगा।

 

बदल गया खेल
शिवसेना पिछले 5 साल में राज्य की सत्ता में बराबर की भागीदार होने के बावजूद लगातार भाजपा की आलोचना करती रही है। भाजपा ने भी अपना आधार क्षेत्र बढ़ाया है लेकिन अब नतीजों के बाद मौजूदा परिस्थितियों में जब ठाकरे परिवार का पहला नेता भी विधानसभा में मौजूद रहेगा, भाजपा को शिवसेना को पहले से अधिक अहमियत देनी होगी। 288 सीटों वाले सदन में भाजपा ने इस बार 164 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 124 सीटें सहयोगी शिवसेना के लिए छोड़ी थीं। मई में लोकसभा चुनाव में मिली बंपर जीत के बाद पार्टी को उम्मीद थी कि वह अपने दम पर कम से कम 135 सीटें जीत लेगी। ऐसी स्थिति में शिवसेना सहयोग से सरकार बनने पर भी सहयोगी दल की अहमियत ज्यादा नहीं रहेगी मगर बाजी पूरी तरह पलट गई है।

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!