Watch Video: नई पिच पर टिक न सके प्रेम कुमार धूमल, अब राजनीतिक भविष्य दांव पर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Dec, 2017 01:43 PM

हमीरपुर विधानसभा सीट से जीत कर मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे प्रेम कुमार धूमल को इस बार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने सीट बदल कर सुजानपुर से चुनाव मैदान में उतारा लेकिन जिसके वह कभी राजनीतिक गुरू रहे उसने ही उन्हें लगभग 1900 मतों के अंतर से पटखनी देकर...

शिमलाः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और हिमाचल प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रेम कुमार धूमल को सुजानपुर विधानसभा सीट से उनके ही राजनीतिक शिष्य रहे राजेंद्र सिंह राणा से मिली हार से जहां राज्य की राजनीति में एक बड़ा उलटफेर हुआ है वहीं पार्टी में भी एक नये ध्रुवीकरण की शुरुआत हुई है।

पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के बाद प्रदेश में भाजपा की राजनीति का अर्से तक केंद्र रहे धूमल का राजनीतिक तिलस्म इस तरह ध्वस्त होगा यह कल्पना से परे है। हमीरपुर विधानसभा सीट से जीत कर मुख्यमंत्री पद तक पहुंचे प्रेम कुमार धूमल को इस बार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने सीट बदल कर सुजानपुर से चुनाव मैदान में उतारा लेकिन जिसके वह कभी राजनीतिक गुरू रहे उसने ही उन्हें लगभग 1900 मतों के अंतर से पटखनी देकर उनके राजनीतिक भविष्य को दांव लगा दिया। 

नियति का फेर ऐसा रहा कि भाजपा राज्य में दो-तिहाई बहुमत के करीब पहुंच कर राज्य में सरकार बनाने जा रही है लेकिन धूमल नई पिच पर अपने प्रतिद्वंदी की ताकत आंकने में विफल रहे और सत्ता का सिंहासन उनके हाथ से फिसल गया जिस पर वह तीसरी बार बैठने वाले थे। धूमल को उनकी परम्परागत सीट के बजाय पार्टी द्वारा नई सीट से उतारने के समय ही राजनीतिक पंडितों ने उनके साथ बड़ा खेल खेले जाने की आशंका व्यक्त कर दी थी। 

पार्टी के इस फैसले से प्रेम धूमल भी आहत थे और भरे गले और नम आंखों ने उनका दर्द बयां कर दिया था लेकिन एक सच्चे और अनुशासित सिपाही की तरह वह कोई तकरीर न कर हुक्म को सर माथे पर रखते हुये ऐसा परिणाम भुगतने के लिए चुनाव मैदान में उतर गए, जिसकी उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी।  देश में पीएम नरेंद्र मोदी की आंधी और केंद्र में भारी बहुमत से भाजपा सरकार बनने के बाद हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में भी इस आंधी के चलने का पहले ही अहसास हो गया था और कांग्रेस का जाना तय माना जा रहा था।

वैसे भी राज्य में कांग्रेस और भाजपा की अदल बदल कर सरकारें बनती रही हैं। राज्य के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनके बेटे चुनाव जीत गये लेकिन कांग्रेस चुनाव हार गई। धूमल के साथ ही कुछ ऐसा ही हुआ। राज्य में पार्टी की सरकार बनने जा रही है और वह सत्ता से बाहर हैं।  

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