Edited By Anil dev,Updated: 25 Mar, 2020 10:37 AM
मंगलवार को पंजाब में एक साथ कोरोना वायरस के 6 नए मरीज पाए जाने के बाद स्थिति भयावह होती जा रही है।
जालंधर (विशेष): मंगलवार को पंजाब में एक साथ कोरोना वायरस के 6 नए मरीज पाए जाने के बाद स्थिति भयावह होती जा रही है। ऐसे हालात में राज्य में विदेश से लौटे एन.आर.आइज की स्क्रीनिंग पर सवाल उठने लगे हैं। कोरोना के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए उनकी स्क्रीनिंग पर शक की सुई घूमना स्वाभाविक ही है। कई एयरपोर्ट्स पर तो कई सप्ताह तक विदेश से आने वाले एन.आर.आइज की स्क्रीनिंग तक ही नहीं हुई। उसके बाद एन.आर.आइज ने भी अपनी खुद की मैडीकल चैकअप करवाना जरूरी नहीं समझा और खुलेआम अपने घर, गांव, रिश्तेदारों और बाजारों में घूमते रहे, जब हालात बिगड़े तो सरकार जागती हुई दिखी। ये हालात केवल पंजाब के नहीं, देश का हर राज्य ऐसी ही स्थिति से गुजर रहा है।
केंद्र से 40 हजार की सूची मिली, अकेले दोआबा से 55 हजार एन.आर.आइज विदेश में
पंजाब सरकार को केंद्र सरकार से लगभग 40 हजार एन.आर.आइज की सूची हासिल हुई है जो हाल ही में पंजाब में आए हैं। एक अनुमान के अनुसार अकेले दोआबा क्षेत्र से ही 55 हजार से ज्यादा एन.आर.आइज विदेश में सैटल हैं। पंजाब सरकार को केंद्र सरकार से जो सूची मिली है उसमें दोआबा क्षेत्र के लगभग 23,000 एन.आर.आइज शामिल हैं जिसमें जालंधर, होशियारपुर, कपूरथला और नवांशहर जिले शामिल हैं। ये एन.आर.आइज विदेश से पंजाब लौटे हैं। पिछले एक सप्ताह में 10 हजार से ज्यादाएन.आर.आइज आए हैं। जालंधर को पिछले 2 हफ्तों में 12,906 एन.आर.आइज की सूची मिली। होशियारपुर को 2000 से अधिक एन.आर.आइज, कपूरथला और नवांशहर को शनिवार को क्रमश: 4605 और 3700 एन.आर.आइज की सूची मिली है। यह पता चला है कि इटली में बदतर हुई हालत के चलते सैंकड़ों एन.आर.आइज जिला कपूरथला के भुलत्थ क्षेत्र में लौटे हैं।
रोज 1500 के करीब एन.आर.आइज की सूची मिल रही
बातचीत के दौरान जिला जालंधर के डिप्टी कमिश्नर जालंधर वरिंद्र शर्मा ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से हमें हर रोज जिले के 1000 से 1500 एन.आर.आइज की सूची मिल रही है। इन एन.आर.आइज को उनके संबंधित गांवों या कस्बों में इन सूचियों के अनुसार खोजने के लिए स्वास्थ्य विभाग और पुलिस विभाग की टीमों का गठन किया गया है। फिर उनकी जांच की जा रही है और 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन करने के लिए कहा गया है।
इसलिए पंजाब में बढ़ा खतरा
अधिकांश एन.आर.आई. जो वापस आ गए हैं वे क्वारंटाइन का पालन नहीं कर रहे हैं। जिला अधिकारियों के लिए उन्हें ट्रेस करना मुश्किल हो रहा है। दोआबा में एक सिविल सर्जन ने कहा, ‘‘इनमें से एक प्रतिशत ही एन.आर.आई. ने भी जिम्मेदारी निभाते हुए खुद को क्वारंटाइन नहीं किया।’’ उन्होंने कहा कि विदेश से आए एन.आर.आई. अपने रिश्तेदारों, दूसरे गांव और यहां तक कि बाजारों में खुलेआम घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी टीम उन्हें घरों, उनकी रिश्तेदारी या फिर उनके साथियों के घरों तक ढूंढ रही है।
इसलिए यूरोप से लौट रहे एन.आर.आइज
कोरोना वायरस के कारण पूरा यूरोप बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इटली के बाद स्पेन और फ्रांस जैसे अन्य राष्ट्र प्रभावित हो रहे हैं। इटली में भारी संख्या में पंजाबी हैं। कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद इटली में चिकित्सा प्रणाली विफल हो जाने के बाद एन.आर.आइज अपने वतन लौैटने लगे हैं।
तभी फ्लाइट्स को रोक देना चाहिए था
पंजाब के एक मंत्री ने बातचीत के दौरान बताया कि जब फरवरी महीने में यूरोप में कोरोना वायरस के प्रवेश करने के बारे में पता चला था तब केंद्र सरकार ने यूरोप से आने वाली फ्लाइट्स को नहीं रोका। अगर उसी समय फ्लाइट्स रोक दी जातीं तो शायद यह स्थिति नहीं आती। फिर भी अब जब हालात ऐसे बन गए हैं तो सरकार कोरोना वायरस की रोकथाम और बचाव के कार्यों में बड़ी तेजी से कदम उठा रही है। इसके लिए गांवों में पंचायतों की मदद भी ली जा रही ताकि प्रत्येक एन.आर.आइज की जांच हो सके, साथ ही उन्हें क्वारंटाइन किया जा सके। वहीं एन.आर.आइज ज्यादातर शादी के मौसम के दौरान दिसम्बर से फरवरी तक पंजाब आते हैं और कनाडा जैसे देशों में बहुत ज्यादा सर्दी के मौसम में एन.आर.आइज आते हैं और ज्यादातर मार्च महीने में लौट जाते हैं लेकिन इस साल उन्होंने मार्च में भी भारत की यात्रा जारी रखी है। दोआबा के लगभग 55 लाख एन.आर.आइज विदेशों में बसे हैं।
एयरपोर्ट्स पर अकेले शरीर का तापमान मापना कारगर तरीका नहीं
इंडियन काऊंसिल ऑफ मैडीकल रिसर्च (आई.सी.एम.आर.) की रिपोर्ट पर नजर डालें तो एयरपोटर््स पर अकेले शरीर का तापमान मापना कारगर तरीका नहीं है। अध्ययनों के हवाले से बताया गया है कि इस तरह की स्क्रीनिंग से 46-50 प्रतिशत यात्रियों में लक्षण का पता नहीं लगाया जा सका। रिपोर्ट में लिखा है, ‘‘देश के भीतर इस प्रकोप के फैलने में देरी लाने के लिए कम से कम 75 प्रतिशत ऐसे व्यक्तियों की पहचान करना आवश्यक है जिनमें संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते और अगर 90 प्रतिशत ऐसे व्यक्तियों का पता लगा लेते हैं तो महामारी फैलने के औसत समय में 20 दिन की देरी लाई जा सकती है।
देश की एक-चौथाई आबादी आ सकती है चपेट में
आई.सी.एम.आर. द्वारा किए गए एक गणितीय विश्लेषण के मुताबिक भारतीय आबादी का एक-चौथाई हिस्सा कोरोना वायरस की चपेट में आ सकता है। मतलब यदि महामारी की रोकथाम नहीं की गई तो देश की करीब 34 करोड़ आबादी संक्रमित हो सकती है और भयावह स्थिति में करीब 7 लाख लोगों की मौत हो सकती है। डाऊन टू अर्थ पत्रिका ने आई.सी.एम.आर. की इस रिपोर्ट का अपने न्यूज पोर्टल पर विश्लेषण भी किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के जिन मरीजों में लक्षण नहीं दिखते हैं वेपरीक्षण से बच जाते हैं और उनकी पहचान भी नहीं हो पाती है। इस तरह के मरीज समुदाय में संक्रमण फैलने का कारण बन जाते हैं। रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ रोग के लक्षण संबंधी मामलों पर केन्द्रित आक्रामक से आक्रामक नियंत्रण रणनीति भी असफल हो जाएगी।