पीएम मोदी के प्रधान सचिव ने कार्यमुक्त होने कि जताई इच्छा, जानिए कौन है वो ?

Edited By prachi upadhyay,Updated: 30 Aug, 2019 06:34 PM

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने कार्य से मुक्त होने की इच्छा जताई है। सरकार के प्रधान प्रवक्ता सीतांशु कार ने कहा कि पीएम मोदी ने मिश्रा से दो सप्ताह तक पद पर बने रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व कैबिनेट सचिव पी के...

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने कार्य से मुक्त होने की इच्छा जताई है। सरकार के प्रधान प्रवक्ता सीतांशु कार ने कहा कि पीएम मोदी ने मिश्रा से दो सप्ताह तक पद पर बने रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व कैबिनेट सचिव पी के सिन्हा को प्रधानमंत्री ने विशेष दायित्व अधिकारी के रूप में नियुक्त किया है। 1967 बैच के रिटायर्ड आईएएस अफसर नृपेंद्र सिन्हा की काबिलियत का लेखा-जोखा काफी लंबा है। उत्तर-प्रदेश जैसे बड़े राज्य में दो-दो मुख्यमंत्रियों के साथ काम कर चुके नृपेंद्र सिन्हा 2014 में पीएम मोदी के प्रधान सचिव बने। इसके बाद 2019 में दोबारा चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी ने एक बार फिर नृपेंद्र पर विश्वास करते हुए उन्हे प्रधान सचिव बनाया। इतना ही नहीं इस बार पीएम मोदी ने उनको इस बार कैबिनेट मंत्री का भी दर्जा दिया।

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 74 साल के नृपेंद्र मिश्रा यूपी कैडर के 1967 बैच के आईएएस अधिकारी थे। उन्होने इलाहाबाद और फिर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। नृपेंद्र इससे पहले कई मंत्रालयों में बड़े पदों पर काम कर चुके हैं। लेकिन 2014 में उनके पीएम मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी बनाने पर खूब हंगामा हुआ था। दरअसल, मिश्रा की नियुक्ति के लिए मोदी सरकार को नियमों में बदलाव करने पड़े थे। ट्राई के पूर्व चेयरमैन मिश्रा 2009 में ही रिटायर हो गए थे और ट्राई के नियमों के मुताबिक इसके अध्‍यक्षों और सदस्‍यों को पद छोड़ने के बाद केंद्र या राज्‍य सरकार में किसी पद पर नियुक्‍त नहीं किया जा सकता है। जिसके बाद मिश्रा को पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पोस्ट पर नियुक्‍त किए जाने में इस नियम से दिक्कत हो रही थी, इसलिए मोदी सरकार ने इस कानून में संशोधन करने के लिए अध्यादेश लागू किया था।

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जिस पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने पूछा था कि सरकार ने इस सिलसिले में अध्यादेश के रास्ते क्यों गई। जिसके जवाब में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि सरकार के पास ट्राई में संशोधन करने का पूरा अधिकार है और विपक्ष को इस पर उंगली उठाने का कोई अधिकार नहीं हैं।

 


 

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