NRIs को अगली सरकार में ही मिलेगा प्रॉक्सी वोटिंग का अधिकार

Edited By Naresh Kumar,Updated: 11 Jan, 2019 09:58 AM

nris will get the right to proxy voting in the next government

विदेश में बसे देश के 1 करोड़ 31 लाख आप्रवासी भारतीयों को प्रॉक्सी वोटिंग का अधिकार देने वाला बिल शीतकालीन सत्र में भी संसद में पास नहीं हो सका। इस बिल को लोकसभा ने पिछले साल 9 अगस्त को मंजूरी दी थी

जालंधर (नरेश कुमार): विदेश में बसे देश के 1 करोड़ 31 लाख आप्रवासी भारतीयों को प्रॉक्सी वोटिंग का अधिकार देने वाला बिल शीतकालीन सत्र में भी संसद में पास नहीं हो सका। इस बिल को लोकसभा ने पिछले साल 9 अगस्त को मंजूरी दी थी लेकिन राज्यसभा में यह बिल लंबित था। मौजूदा सत्र में शुरूआती दिनों में राफेल और अन्य मुद्दों को लेकर कामकाज ठप्प रहा तो अंतिम दिनों में सवर्ण जातियों के आरक्षण पर फोकस होने के चलते इस बिल पर चर्चा नहीं हो सकी। अब सरकार के पास बजट सत्र का कुछ दिन का समय बचा है और सत्र के दौरान भी बजट के अलावा तीन तलाक जैसे राजनीतिक महत्व के बड़े मुद्दे चर्चा में रह सकते हैं, लिहाजा यह बिल अब अगली सरकार के कार्यकाल में ही पास होने की संभावना है। यदि यह बिल बजट सत्र के दौरान पास हो भी जाता है तो भी आप्रवासी भारतीयों की प्रॉक्सी वोटिंग के लिए जरूरी व्यवस्था करने में समय लग सकता है और अगले दो महीने में इसकी तैयारी मुमकिन नहीं हो पाएगी।
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क्या होती है प्रॉक्सी वोटिंग
इस सिस्टम के जरिए वोटिंग का अधिकार रखने वाला व्यक्ति अपने विधानसभा अथवा लोकसभा हलके से किसी ऐसे व्यक्ति को नामित करता है जो उसके स्थान पर वोट डालता है। मौजूदा समय में भारत में सुरक्षा बलों के जवान इस व्यवस्था के जरिए वोट करते हैं। यह व्यवस्था यू.के. में भी अपनाई जाती है।
 

अब तक क्या हुआ
आप्रवासी भारतीयों को प्रॉक्सी वोटिंग का अधिकार देने का फैसला 3 अगस्त 2017 को हुई कैबिनेट की बैठक में हुआ था। इसके बाद यह बिल कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने 18 दिसम्बर 2017 को संसद में रखा था और इसे पिछले साल 9 अगस्त को लोकसभा में पास भी कर दिया गया। आप्रवासी भारतीयों को वोटिंग का अधिकार देने के लिए जन प्रतिनिधि कानून 1950 और 1951 में बदलाव किए गए हैं। 
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एन.आर.आई. 13113360
भारतीय मूल के विदेशी नागरिक 17882369
कुल 30995729

 

आयोग भी सुस्त
केंद्रीय कैबिनेट द्वारा आप्रवासी भारतीयों को प्रॉक्सी वोटिंग का अधिकार दिए जाने के फैसले के तुरंत बाद चुनाव आयोग इस दिशा में काम पर जुट गया था और आयोग ने तुरंत एक अलग वैबसाइट बना कर विदेशों में बसे आप्रवासी भारतीयों को बतौर वोटर जोडऩे के लिए काम भी शुरू कर दिया था लेकिन यह कवायद बाद में धीमी पड़ गई। चुनाव आयोग के डाटा के मुताबिक 2017 तक देश में एन.आर.आई. वोटर्स की संख्या 24348 थी जो 2018 में बढ़ कर 24507 हो गई यानी एक साल में महज 159 नए एन.आर.आई. वोटर ही जुड़ पाए। आयोग की वैबसाइट पर अलग से कितने आप्रवासी भारतीयों ने पंजीकरण करवाया है इसका डाटा आयोग ने वैबसाइट पर शेयर नहीं किया है।
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