Edited By Yaspal,Updated: 03 Aug, 2019 07:09 PM
पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमरनाथ गुफाके पास एक टेंट में थलसेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत से मुलाकात की। डोभाल सभी को असमंजस में डालकर घाटी से चले गए। एक सवाल लोगों...
नेशनल डेस्कः पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमरनाथ गुफाके पास एक टेंट में थलसेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत से मुलाकात की। डोभाल सभी को असमंजस में डालकर घाटी से चले गए। एक सवाल लोगों के मन में उठ रहा है कि क्या उन्होंने किसी को विश्वास में नहीं लिया।
एक नाम जरूर है, जिस पर प्रधानमंत्री और एनएसए का विश्वास है, वह हैं, बीवीआर सुब्रमण्यम, उन्हें कश्मीर में दिल्ली की आंख, कान और विश्वासपात्र हाथ माना जाता है। सुब्रमण्यम साल 2004 से 2008 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निजी सचिव रहे थे। उन्होंने 2008 और 2011 में विश्वबैंक में काम किया था और इसके बाद मार्च 2012 में वह इससे दोबारा जुड़ गए।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में विशेष रूप से घाटी में ज्यादातर लोग मानते हैं कि संविधान 35A समाप्त हो रहा है। इस बीच रिपोर्ट्स आ रही हैं कि राज्य में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को तीन केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने पर भी काम किया जा रहा है। एक आम कश्मीरी के लिए, इस समय प्राथमिकता पूरी तरह अलग है। इस समय उसकी चिंता राशन, दवाइयां, खाद्य तेल, नमक, चाय, दालें और सब्जियां इकट्ठा करना है।
शीर्ष सूत्रों ने कहा कि सुरक्षा बलों को घाटी में शिकंजा कसने के लिए अगले 24 घंटों में तैयार रहने के लिए कहा गया है। एक सरकारी सूत्र ने कहा, "हमने अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों को घाटी से निकलने के लिए 72 घंटों का समय दिया है।" घाटी में शिकंजा कसने की खबरें फैलने के बाद एटीएम स्टोरों और पेट्रॉल पंपों पर भीड़ उमड़ आई है।