NSA अजीत डोभाल ने 7 साल पहले कर दी थी चीन की चालबाजियों की भविष्यवाणी

Edited By Seema Sharma,Updated: 17 Dec, 2020 02:32 PM

nsa ajit doval predicted china trickery 7 years ago

मोदी सरकार का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) बनने से पहले अजित डोभाल VIF थिंक-टैंक के निदेशक के रूप में काम करते थे। VIF थिंक-टैंक के निदेशक के पद पर रहते हुए साल 2013 में अजित डोभाल ने ''चीनी खुफिया: फ्रॉम-ए पार्टी आउटफिट टू साइबर वॉरियर्स''  के...

नेशनल डेस्क: मोदी सरकार का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) बनने से पहले अजित डोभाल VIF थिंक-टैंक के निदेशक के रूप में काम करते थे। VIF थिंक-टैंक के निदेशक के पद पर रहते हुए साल 2013 में अजित डोभाल ने 'चीनी खुफिया: फ्रॉम-ए पार्टी आउटफिट टू साइबर वॉरियर्स'  के शीर्षक से एक सेमिनल पेपर लिखा था। इस पेपर में उन्होंने चीन की चालबाजियों के बारे में जानकारी दी गई थी। इस पेपर में डोभाल ने चीनी खुफिया एजेंसी मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (MSS) द्वारा धर्मशाला में दलाई लामा के आने और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI की मदद से लेकर भारत विरोधी नॉर्थ-ईस्ट विद्रोही समूहों का समर्थन करने पर विस्तार से लिखा था। इसके अलावा, चीनी एजेंसी द्वारा तिब्बत से लगी सीमा पर भारतीय सेना की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने को लेकर भी पेपर में लिखा गया था। यानि कि डोभाल ने 7 साल पहले ही चीन की चालाकियों की भविष्यवाणी कर दी थी। डोभाल ने अपने 2013 के पेपर में कहा कि साल 2009 में टोरेंटो यूनिवर्सिटी के इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर मॉनिटर सिटिजन में 'घोस्ट नेट' करके रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी, इसमें चीनी हैकर्स द्वारा भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान और दलाई लामा के सचिवालय के कार्यालयों में घुसपैठ करने को लेकर जानकारी दी गई थी। हालांकि बीजिंग ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था।

 

पेपर का निष्कर्ष
डोभाल द्वारा लिखे गए पेपर का निष्कर्ष है कि ''पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने वर्षों में, सामरिक, तकनीकी और रणनीतिक स्तरों पर अपनी खुफिया क्षमताओं को बेहतर किया है। विशेष रूप से एशिया प्रशांत क्षेत्र, दक्षिण एशिया और मध्य एशिया में। चीनी खुफिया एजेंसी ने खुद को प्रमुख विदेशी खुफिया एजेंसी के रूप में विकसित किया और राजनयिक खुफिया के अलावा, यह राष्ट्रीय आर्थिक और सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए तकनीकी डेटा और सिस्टम की जानकारी के लिए आक्रामक रूप से काम कर रही है। पेपर में कहा गया कि 180 देशों में लगभग 380 कन्फ्यूशियस संस्थानों, चीनी भाषाओं के इंस्टीट्यूट्स की स्थापना भी MSS की विदेशी खुफिया गतिविधियों का हिस्सा है। चीन खुद को एक बड़ी शक्ति के रूप में बनाना चाहता है और इसके लिए ही वह चुपचाप तेजी से अपनी खुफिया क्षमताओं को उसके अनुरूप बना रहा है। 

 

जानकारी थी पूर्वी लद्दाख में चीन डालेगा अड़ंगा
वहीं डोभाल के पत्र में कहीं न कहीं यह बात भी स्पष्ट हो रही है कि चीन पूर्वी लद्दाख में विवाद खड़ा कर सकता है। यानि कि वेस्टर्न वर्ल्ड, इंडो-फैसिफिक और भारत को चीनी खुफिया सूचनाओं के बारे में पता था लेकिन पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स, गलवान और फिर पैंगोंग-सो में पीएलए सैनिकों द्वारा सुनियोजित कार्रवाई के बाद ही नींद से जागा और एक्शन लिया। बता दें कि इसी हफ्ते, 'द ऑस्ट्रेलियन' की एक इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट में बताया गया कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के वफादार सदस्यों ने कैसे पेशेवरों के रूप में पश्चिमी वाणिज्य दूतावासों और मेगा कॉरपोरेशनों में घुसपैठ की।

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