Edited By Yaspal,Updated: 07 Aug, 2018 05:56 AM
राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाला बिल आज लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में पास हो गया। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानूनी रूप ले लेगा।
नेशनल डेस्कः राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाला बिल आज लोकसभा में पास होने के बाद राज्यसभा में पास हो गया। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह विधेयक कानूनी रूप ले लेगा। इस बिल में सरकार ने कुछ संसोधन किये हैं, जिसमें आयोग में महिला सदस्य को भी शामिल किया गया है। साथ ही राज्यों के अधिकारों में हस्तक्षेप को लेकर विपक्ष की शंका को भी दूर करने का प्रयास किया गया है। कांग्रेस सदस्यों ने राज्यसभा में भी इस बिल का समर्थन किया है।
मोदी सरकार इससे पहले पिछले वर्ष इस बिल को लेकर आई थी। लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने से यह बिल पास नहीं हुआ और सरकार को किरकिरी झेलनी पड़ी थी। हालांकि सरकार ने विधेयक में कुछ संसोधन कर दोबारा पेश करना पड़ा।
इससे पहले लोकसभा में यह बिल 406 वोटों के साथ सर्वसम्मति से पास हो गया था। लेकिन राज्यसभा में पर्याप्त बहुमत न होने के कारण सरकार संशय में थी। वहीं कांग्रेस ने बिल को समर्थन कर सरकार की मुश्किलों को दूर कर दिया।
इस विधेयक के पास होने से अब सामाजिक एवं शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग बनेगा। इस आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे। इस प्रकार नियुक्त अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सेवा शर्तों एवं पदावधि के नियम राष्ट्रपति के अधीन होंगी। आयोग अपनी स्वंय की प्रक्रिया निर्धारित करने की शक्ति होगी।
बता दें कि 1993 में गठित पिछड़ा वर्ग आयोग अभी तक सिर्फ सामाजिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़ी जातियों को पिछड़े वर्गों की सूची में शामिल करने या पहले से शामिल जातियों को सूची से बाहर करने का काम करता था।