शांत प्रदर्शन में ‘आग’ लगाने वाले संदेश पकड़े गए

Edited By vasudha,Updated: 22 Dec, 2019 10:34 AM

objectionable messages increased police concern

दिल्ली के प्रदर्शन को हिंसक और तनावपूर्ण बनाने में जहां सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे संदेशों की भूमिका रही, वहीं कुछ ऐसे मैसेज हैं जो फर्जी तरीके से बनाए गए और उन्हें व्हाट्सअप ग्रुपों के जरिए लोगों तक पहुंचाए जा रहे हैं...

नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): दिल्ली के प्रदर्शन को हिंसक और तनावपूर्ण बनाने में जहां सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे संदेशों की भूमिका रही, वहीं कुछ ऐसे मैसेज हैं जो फर्जी तरीके से बनाए गए और उन्हें व्हाट्सअप ग्रुपों के जरिए लोगों तक पहुंचाए जा रहे हैं। ऐसे इनपुट भी दिल्ली पुलिस को मिले हैं, कि ये ग्रुप आतंकियों द्वारा बनाए गए हैं जो सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान असामाजिक तत्वों के माध्यम से देश का माहौल बिगाडऩा चाहते हैं। इस जानकारी पर पुलिस ने कई ग्रुपों को चिहिन्त कर बंद कर दिया और कुछ ग्रुप पर कार्रवाई करनी शुरू कर दी है। केन्द्र सरकार ने आतंकियों द्वारा व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए सूचना दिए जाने की जानकारी को दिल्ली पुलिस से साझा भी किया है, जिससे पुलिस अलर्ट हो गई है। 

 

ऐसे आपत्तिजनक संदेशों ने बढ़ाई पुलिस की चिंता 
खुफिया एजेंसियों को कुछ व्हाट्सएप ग्रुप पर ऐसे मैसेज मिले हैं, जिनसे साजिश के संकेत साफ मिलते हैं। उसमें बताया गया है कि प्रदर्शन के वक्त वे हेलमेट पहनकर और तेजाब या पेट्रोल से भरी बोतलों को लेकर निकलें। जिससे अपनी और अपने भाइयों की सुरक्षा कर सकें। आंदोलन को खत्म नहीं, बल्कि बिल को खत्म कराना है। नहीं तो यहां पर रहने के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। कुछ ऐसे भी मैसेज सामने आए हैं, जिसमें उनके बैंक खातों के बारे में जानकारी ली जा रही है। जिससे दंगा भड़काने में आने वाले सामान को लाया जा सके। सोशल मीडिया के व्हाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर फर्जी नाम से ये ग्रुप चलाए जा रहे हैं। जिनके बारे में साइबर क्राइम की टीमें काम कर रही हैं और गूगल कंपनी से भी सहायता ली जा रही है। कई लोगों के बारे में पता चला है कि वे भारत के बाहर के रहने वाले हैं। 

 

कोड वर्ड में भेजे जा रहे संदेश
सुरक्षा एजेंसियों को सोशल मीडिया पर कुछ संदिग्ध कोडवर्ड में बातचीत होने की भी जानकारी मिली है। जिनके बारे में पता लगाने की कोशिश की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि जिस जिस जगहों के बारे में उनको शक था। उनमें से काफी जगहों पर इन कोडवर्ड के इस्तेमाल होने की बात सामने आई है। 

 

हवाला के जरिए भेजे जा रहे हैं पैसे
दंगों को बाहरी देश की ताकतें हवाला का पैसा उन तक पहुंचाकर सहायता कर रही हैं। ऐसा कहना गलत भी नहीं होगा। उनका कहना है कि दिल्ली में होने वाले प्रदर्शन को उग्र बनाने से ऐसे ग्रुपों का प्रचार इंटरनेशनल लेवल पर ज्यादा बढ़ेगा। ऐसे में साइबर क्राइम की टीमें व्हाट्सएप ग्रुपों पर नजर बनाए हुए हैं। पुलिस कुछ व्हाट्सएप मेंबर के फुटेज को अपलोड कर रही हैं जिसमें प्रदर्शनकारियों को पीटा जा रहा है या फिर प्रदर्शनकारी पुलिस और सरकार को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए नजर आ रहे हैं।

 

5 दिनों का उपद्रव, फेल हुआ खुफिया तंत्र 
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जिसकी सुरक्षा देश की सबसे हाईटेक पुलिस के जिम्मे है, पर गत पांच दिनों में दिल्ली में हुए उपद्रव ने इस हाईटेक पुलिस के खुफिया तंत्र और सूचना तंत्र क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन पांच दिनों में दिल्ली के चार स्थानों पर सीएए के विरोध में प्रदर्शन के दौरान जमकर उपद्रव किया, जिसमें पुलिस कर्मियों पर पत्थरबाजी ही नहीं वाहनों में आगजनी भी की। यहां तक वे उपद्रवी अपने साथ पेट्रोल बम व अन्य ज्वलनशील पदार्थ भी लेकर आए थे, जो उन्होंने पुलिस कर्मियों पर फेंके। पुलिस को उपद्रव से पहले इसकी भनक तक नहीं लगी। जबकि उपद्रवी भारी मात्रा में पत्थर, डंडे और बम तक लेकर प्रदर्शन में शामिल हुए थे। यही नहीं शुक्रवार शाम जिन उपद्रवियों ने दरियागंज थाना के सामने पत्थरबाजी और वाहन में आगजनी की थी वे सभी पूर्वी दिल्ली के शास्त्री पार्क इलाके से पैदल वहां पहुंचे थे। ये वो लोग थे जिन्हें प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने वहां बैरिकेड लगाकर रोक दिया गया था। करीब पांच सौ से अधिक की संख्या में ये उपद्रवी वहां से यमुना खादर होते हुए पहले आईएसबीटी कश्मीरी गेट और वहां से दरियागंज पहुंचे थे। पर करीब तीन से चार किलोमीटर की यह उन लोगों ने करीब 45 मिनट में पूरी की थी। पर इतनी बड़ी संख्या में लोगों के खादर पार कर कश्मीरी गेट से दरियागंज पहुंचने की भनक तक पुलिस को नही लगी, जिसका परिणाम दरियागंज और दिल्ली गेट इलाके में सपाप्त हो चुके प्रदर्शन के बाद पत्थरबाजी और आगजनी की घटना थी। अगर पुलिस का सूचना तंत्र सतर्क होता तो उन्हें इतनी बड़ी संख्या में उपद्रवियों के दरियागंज की ओर आने की जानकारी जरूर मिल जाती। 

 

अब तक क्या हुआ

  • रविवार को जामिया, मंगलवार को जाफराबाद, शुक्रवार को सीमापुरी, दरियागंज में उपद्रव 
  • उपद्रव के पूर्व पुलिस को भनक तक नहीं लगी, उपद्रवियों ने जमा कर रखे थे पत्थर और बम
  • प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने इलाकों में लगे सीसीटीवी कैमरों का नहीं किया उपयोग


लग्जरी कारों से आते हैं धरना देते हैं...!
आईटीओ स्थित पुलिस कार्यालय पर रात के समय सीएए-एनआरसी का विरोध करना और धरना देना जैसे कोई शौक बन गया है। ऐसा नहीं है कि रात के समय या आईटीओ पर विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता, लेकिन जिस तरह से पिछले एक-दो दिन से यहां पर प्रदर्शन का सिलसिला चल रहा है, उसे देखकर यह तो कतई नहीं लगता कि विरोध जताने के प्रति गंभीरता है। लगता है कि जैसे किसी पार्क या कैंपस में युवा कैंप फायर करने पहुंचे हों। जबकि हकीकत तो यह है कि जिस जगह प्रदर्शन किया जा रहा है वह सार्वजनिक स्थान है और उससे व्यवस्था बिगड़ती है। बड़ी बात यह है कि यहां पर प्रदर्शन करने वाले लंबी-लंबी कारों से पहुंचते हैं और पुलिस कार्यालय के पास वाहनों को पार्क करके धरना-सभा में शामिल होते हैं। ऐसा भी नहीं है कि विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कार से नहीं पहुंचा जा सकता, लेकिन यहां पर अंदाज कुछ जुदा-जुदा ही नजर आता है। जेएनयू में जिस तरह से रात में सभाएं होती हैं। लेकिन, सवाल फिर वही खड़ा होता है कि सड़क पर ऐसा करना कितना सही है।
 

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