ऑफ द रिकॉर्डः तेलंगाना और आंध्र में बड़े धमाके की तैयारी में भाजपा

Edited By Pardeep,Updated: 31 Jul, 2019 05:24 AM

off the record bjp in preparation for big bang in telangana and andhra

दक्षिण में कर्नाटक का किला फतेह करने के बाद अब भाजपा हाईकमान ने अपना पूरा ध्यान आंध्र व तेलंगाना पर फोकस करने की योजना बनाई है। पार्टी को लग रहा है कि इन दोनों राज्यों में पार्टी का आधार बढ़ाने का रास्ता बहुत हद तक साफ है। आंध्र प्रदेश में भाजपा...

नेशनल डेस्कः दक्षिण में कर्नाटक का किला फतेह करने के बाद अब भाजपा हाईकमान ने अपना पूरा ध्यान आंध्र व तेलंगाना पर फोकस करने की योजना बनाई है। पार्टी को लग रहा है कि इन दोनों राज्यों में पार्टी का आधार बढ़ाने का रास्ता बहुत हद तक साफ है। आंध्र प्रदेश में भाजपा जानती है कि इस राज्य में कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया व तेलुगू देशम पार्टी के जनाधार में आई जबरदस्त गिरावट ने वहां की राह काफी हद तक आसान कर दी है। 
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इस बात में कोई शक नहीं है कि वाई.एस.आर. कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत हासिल किया व लोकसभा चुनावों में राज्य की 25 में से 22 सीटें जीतीं। इस चुनाव में जहां कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो गया, वहीं टी.डी.पी. अपने अस्तित्व की जंग लड़ती दिखी। इन्हीं चुनाव परिणामों से भाजपा उत्साहित है और पार्टी को लगता है कि वह यहां बड़े पैमाने पर अपना आधार मजबूत कर सकती है। पार्टी वहां अपने आपको एक विश्वस्त विकल्प के रूप में स्थापित करना चाहती है। आंध्र प्रदेश में जिस तरह से चंद्रबाबू राजनीति की मुख्य धारा से गायब हो रहे हैं और एक के बाद एक मुद्दे पर वह जिस तरह से अस्तित्व की जंग में उलझे हुए हैं, उससे भाजपा यह महसूस कर रही है कि यहां पार्टी बड़े पैमाने पर अपनी जड़ें मजबूत कर सकती है। 
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यहीं नहीं, आंध्र में भाजपा इतनी आश्वस्त हो गई है कि वह वाई.एस.आर. कांग्रेस से भी दो-दो हाथ करने के मूड मेें दिख रही है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जगन मोहन रैड्डी की बार-बार मांग के बावजूद आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया। भाजपा को लगता है कि यहां जगन बहुत लंबे समय तक अपनी पार्टी को एकजुट नहीं रख पाएंगे। यह इसी बात का संकेत है कि उन्होंने राज्य में पहली बार 5 उपमुख्यमंत्री नियुक्त किए। 
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भाजपा यह समझती है कि जगन एक अच्छे प्रशासक नहीं हैं इसलिए वह ज्यादा देर तक पार्टी पर अपनी पकड़ को मजबूत नहीं रख पाएंगे। इसके अतिरिक्त भाजपा रणनीतिकार जगन के मामले में इसलिए भी आश्वस्त दिख रहे हैं कि अगर वह उनकी पार्टी की राह का रोड़ा बना तो वे उन्हें भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में कार्रवाई का खौफ दिखा कर उसका शिकार कर लेंगे। कुछ समय बाद मोदी आंध्र प्रदेश जाएंगे और उसके बाद वहां भाजपा अपने मकसद में जुट जाएगी। आंध्र प्रदेश में भाजपा अपने मकसद के लिए ओपन डोर नीति पर चल रही है।
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इस तरह की रणनीति भाजपा ने तेलंगाना के लिए भी तैयार की है। यहां टी.आर.एस. के प्रमुख चंद्रशेखर भाजपा संग हाथ मिलाने को बेकरार हैं लेकिन पार्टी उन्हें ज्यादा तवज्जो देने के मूड में नहीं है। यहां पार्टी का मानना है कि किसी दूसरे से गठबंधन की बजाय खुद मेहनत कर मजबूत संगठन खड़ा करना बेहतर होगा। तेलंगाना में लोकसभा की 4 सीटें जीतने के बाद पार्टी को लगता है कि यहां भी उसके जनाधार की पृष्ठभूमि बन चुकी है। 

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