ऑफ द रिकॉर्ड: शिवसेना के प्रति भाजपा नेतृत्व ने अपनाया नरम रुख

Edited By Pardeep,Updated: 16 Nov, 2019 05:32 AM

off the record bjp leadership adopts soft attitude towards shiv sena

भाजपा ने अभी महाराष्ट्र में गतिरोध के बीच स्थिति बदलने को लेकर उम्मीद नहीं छोड़ी है। वहीं राकांपा-कांग्रेस और शिवसेना न्यूनतम सांझा कार्यक्रम को अंतिम रूप देने में लगी हैं तो भाजपा को उम्मीद है कि शिवसेना वापस गठबंधन कर सकती है। जिस तरह से पिछले...

नेशनल डेस्क: भाजपा ने अभी महाराष्ट्र में गतिरोध के बीच स्थिति बदलने को लेकर उम्मीद नहीं छोड़ी है। वहीं राकांपा-कांग्रेस और शिवसेना न्यूनतम सांझा कार्यक्रम को अंतिम रूप देने में लगी हैं तो भाजपा को उम्मीद है कि शिवसेना वापस गठबंधन कर सकती है। जिस तरह से पिछले दिनों नितिन गडकरी ने कहा कि राजनीति भी क्रिकेट की तरह खेल है, जो कभी भी किसी ओर मोड़ ले सकती है। 
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शरद पवार ने कहा कि कट्टर हिंदुत्व के विषय पर शिवसेना से रुख साफ करने को लेकर चर्चा जारी है। हिंदुत्व को ध्यान में रखते हुए भाजपा हाईकमान ने केंद्रीय मंत्रियों और प्रवक्ताओं को सख्त हिदायत जारी की कि शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे, उनके पुत्र व अन्य पर निजी हमले न किए जाएं।
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भाजपा नेतृत्व ने निर्धारित किया कि इस विषय पर केवल अमित शाह ही बोलेंगे। इसके बाद बुधवार को अमित शाह ने पहली बार शिवसेना से विरोधाभास पर मीडिया के समक्ष अपनी बात रखी। इस दौरान उन्होंने शिवसेना पर व्यक्तिगत या कोई गलत टिप्पणी नहीं कर अपने बचाव में जवाब दिया। भाजपा ने तय किया कि जब शिवसेना-राकांपा और कांग्रेस सरकार गठन को लेकर अपनी स्थिति सांझा करेंगे और सरकार चलाएंगे तो हिंदू पार्टी और विकास के मुद्दे पर पार्टी का दायरा बढ़ाने का मौका मिलेगा। 
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वहीं भाजपा इस बात से परेशान है कि वह महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य को जीतने के बाद सरकार का गठन नहीं कर सकी। राकांपा नेता शरद पवार ने नया कार्ड खेलकर कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को शिवसेना नेता को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार करने के लिए अपनी रणनीति बदलने को मजबूर किया। इससे महाराष्ट्र भाजपा सदमे में है और केंद्रीय नेतृत्व को अभी भी रुख बदलने की उम्मीद है। 
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वहीं अब शिवसेना से अलग होने पर भाजपा हिंदू वोट बैंक के लिए ठाणे-कोंकण बैल्ट में अभियान चलाकर कड़ी मेहनत कर सकती है। भाजपा नेतृत्व देख रहा है कि कांग्रेस के साथ शिवसेना किस तरह अपने हिंदुत्व के एजैंडे को आगे बढ़ाएगी, जिसके लिए पार्टी बनी थी। सेना आक्रामक हिंदुत्व नीति का पालन करती रही है और राम मंदिर आंदोलन में शिवसेना सबसे आगे थी, यहां तक कि उन्होंने ढांचा गिराने में भी अपनी भूमिका का दावा किया था। 

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