ऑफ द रिकॉर्ड: भाजपा-जद-यू के रिश्तों में उतार-चढ़ाव

Edited By Pardeep,Updated: 05 Jul, 2019 05:23 AM

off the record fluctuations in bjp jd u relations

जब से केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जद (यू) के प्रतिनिधित्व को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच मतभेद सामने आए हैं तब से स्थितियां पहले जैसी नहीं रही हैं। दोनों पार्टियों के नेताओं में रिश्तों की तुलना एक वरिष्ठ...

नेशनल डेस्क: जब से केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जद (यू) के प्रतिनिधित्व को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच मतभेद सामने आए हैं तब से स्थितियां पहले जैसी नहीं रही हैं। दोनों पार्टियों के नेताओं में रिश्तों की तुलना एक वरिष्ठ नेता ने ‘पल में तोला पल में माशा’ वाली स्थिति से की है। 
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दोनों पार्टियों के नेता संसदीय कार्यों के मामलों में भी एक-दूसरे से बातचीत नहीं कर रहे। जब कभी भी राज्यसभा के अध्यक्ष के चैम्बर में बैठकें होती हैं तो भाजपा-जद (यू) एक-दूसरे से बात नहीं करते और केवल मुस्कुराते हैं। यहां तक कि बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी भी इस स्थिति को लेकर असमंजस में हैं क्योंकि वह भी इसमें कुछ नहीं कर पा रहे। पी.एम. मोदी ने केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जद (यू) को एक से ज्यादा पद देने से इंकार किया है तथा नीतीश कुमार को यह मंजूर नहीं है। दोनों दलों की महत्वाकांक्षाएं दोनों सहयोगियों के बीच अविश्वास की खाई को बढ़ा रही हैं जबकि अगले वर्ष बिहार में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। दोनों पार्टियां ‘बड़े भाई’ की भूमिका में रहना चाहती हैं। 
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लोकसभा चुनावों में भाजपा और जद (यू) ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि लोजपा को 6 सीटें दी गई थीं लेकिन विधानसभा चुनावों में जद (यू) भाजपा को महाराष्ट्र मॉडल दोहराने का मौका नहीं देना चाहती जहां शिवसेना मुख्यमंत्री का पद छोडऩे पर सहमत हो गई थी। हालांकि भाजपा को नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से कोई परहेज नहीं है लेेकिन भाजपा विधानसभा चुनावों में जद (यू) को 45 प्रतिशत अर्थात 230 में से 150 सीटों से ज्यादा नहीं देना चाहती। भाजपा भी 105 सीटों पर चुनाव लडऩा चाहती है तथा रामविलास पासवान की लोजपा के लिए 20 सीटें छोड़ी जाएंगी। 
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भाजपा का दावा है कि नमो फैक्टर से जद (यू) को लाभ मिला है जबकि जद (यू) ने भाजपा को याद दिलाया कि यही फैक्टर राज्य के विधानसभा चुनावों में 2015 में फेल हो गया था, जब इन दोनों ने अलग-अलग खेमों से चुनाव लड़ा था। जद (यू) 115 सीटों पर चुनाव लडऩा चाहती है और 115 लोजपा/भाजपा के लिए छोडऩा चाहती है। यह फार्मूला भाजपा-लोजपा को मंजूर नहीं है। यही कारण है कि जद (यू) ने इस वर्ष अक्तूबर में होने वाले झारखंड और हरियाणा विधानसभा के चुनाव अकेले लडऩे का निर्णय लिया है।

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