Edited By Pardeep,Updated: 02 Nov, 2019 08:31 AM
इस बात को महसूस करते हुए कि भ्रष्टाचार निरोधी एजैंसियां देश में बिजनैस के माहौल को नुक्सान पहुंचा रही हैं, सरकार उनके पर कतरने जा रही है। अगर वाणिज्य मंत्रालय कंपनी एक्ट में बदलाव करता है तो सी.बी.आई. और ई.डी. 50 करोड़ से ज्यादा की बैंक धोखाधड़ी के...
नेशनल डेस्क: इस बात को महसूस करते हुए कि भ्रष्टाचार निरोधी एजैंसियां देश में बिजनैस के माहौल को नुक्सान पहुंचा रही हैं, सरकार उनके पर कतरने जा रही है। अगर वाणिज्य मंत्रालय कंपनी एक्ट में बदलाव करता है तो सी.बी.आई. और ई.डी. 50 करोड़ से ज्यादा की बैंक धोखाधड़ी के मामले में खुद-ब-खुद मामला दर्ज नहीं कर पाएंगी। उन्हें पहले नए पुनर्गठित बोर्ड की रिपोर्ट का इंतजार करना होगा कि मामला आपराधिक जांच के लायक है या नहीं।
जांच एजैंसियों की सख्ती के कारण बैंक मैनेजरों और प्रबंध निदेशकों में डर का माहौल है जिसके कारण वे लोन को मंजूर नहीं कर रहे हैं और सेफ गेम खेल रहे हैं। नौकरशाही भी कोई फैसला लेने से पहले शीर्ष नेतृत्व या सचिवों की कमेटी से स्पष्ट आदेश चाहती है। इससे मामला खिंचता चला जाता क्योंकि कोई भी बाद में जांच एजैंसियों के झमेले में फंसना नहीं चाहता है। राफेल समेत कई अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने भी भारत सरकार के समक्ष चिंता जताई थी कि हर वित्तीय एक्ट के तहत विभिन्न एजैंसियों द्वारा बड़े स्तर पर आपराधिक मामले दर्ज किए जाते हैं। इतना ही नहीं, देश में दर्जनों एजैंसियां हैं जोकि वित्तीय धोखाधड़ी की जांच करती हैं।
केवल सी.बी.आई. और प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) ही नहीं, सी.बी.डी.टी. और सी.बी.ई.सी., एस.एफ.आई.ओ. के पास भी आपराधिक मामलों में जांच करने की शक्ति है और वे कर चोरी के मामले में व्यवसायियों के खिलाफ लुक आऊट नोटिस जारी कर सकती हैं। इसके अलावा बैंकिंग नियमन एक्ट के तहत दिवालिएपन की कार्रवाई, अवैध फॉरेन ट्रेड एवं रैवेन्यू इंटैलीजैंस निदेशालय, ब्लैक मनी एक्ट, एम.आर.टी.पी.सी. एक्ट के तहत कंपनी फ्राड और अन्य भी हैं।
टैक्स में कटौती के बाद सरकार उन भारतीय और विदेशी कंपनियों के डर को दूर करना चाहती है जोकि यहां बड़े निवेश की इच्छुक हैं इसलिए जांच एजैंसियों के पेंच कसने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए केवल मौखिक आदेश से काम नहीं चल सकता है इसलिए कार्पोरेट अफेयर्स एक्ट में संशोधन की तैयारी की जा रही है ताकि एस.एफ. आई.ओ. और अन्य जांच एजैंसियां बेलगाम न दौड़ें। किसी बड़े धोखाधड़ी मामले को जांच एजैंसियों को सौंपने से पहले सलाहकार बोर्ड प्राथमिक स्तर की जांच करेगा। 50 करोड़ से ऊपर के बैंक धोखाधड़ी के मामले जिनमें जनरल मैनेजर और उससे ऊपर के अधिकारी शामिल होंगे, उन्हें पहले इस बोर्ड को भेजा जाएगा।