ऑफ द रिकॉर्डः हाईकमान परेशान, हरियाणा में मंत्रिमंडल विस्तार में देरी

Edited By Pardeep,Updated: 31 Oct, 2019 04:11 AM

off the record high command upset delay in cabinet expansion in haryana

भाजपा हाईकमान ने विभिन्न कारणों के चलते हरियाणा में मंत्रिमंडल का विस्तार रोक कर रखा है, पहला कारण तो यही है कि अभी इस काम की कोई जल्दी नहीं है। पार्टी हाईकमान का ध्यान महाराष्ट्र में सरकार बनाने पर है क्योंकि वहां की स्थिति को अगर वक्त पर नहीं...

नेशनल डेस्क: भाजपा हाईकमान ने विभिन्न कारणों के चलते हरियाणा में मंत्रिमंडल का विस्तार रोक कर रखा है, पहला कारण तो यही है कि अभी इस काम की कोई जल्दी नहीं है। पार्टी हाईकमान का ध्यान महाराष्ट्र में सरकार बनाने पर है क्योंकि वहां की स्थिति को अगर वक्त पर नहीं संभाला गया तो यह एक राजनीतिक संकट का रूप ले सकता है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरियाणा के चुनावी नतीजों से बहुत परेशान हैं जहां 75 सीटों का ऐतिहासिक आंकड़ा हासिल करने के लिए पार्टी ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था। अमित शाह भी चिंतित हैं क्योंकि उनके विश्वसनीय सिपहसालारों ने उनसे कहा था कि पार्टी वहां 50 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करेगी। उन्होंने पार्टी के वार रूम में कहा था, ‘‘हम हरियाणा में बहुमत हासिल करने जा रहे हैं।’’ 

भाजपा अब कारणों पर विचार करने के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार करेगी कि आखिर क्यों वह बहुमत हासिल करने में विफल रही। दूसरा कारण यह है कि भाजपा स्वतंत्र उम्मीदवारों को भी हाशिए पर नहीं धकेलना चाहती जिन्होंने बिना मोल-भाव किए पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की थी। इनमें से 4 भाजपा से बगावत करने वाले उम्मीदवार भी हैं जिन्हें पार्टी ने टिकट देने से इंकार कर दिया था। भाजपा के 8 मंत्रियों को विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा जिससे हाईकमान व्याकुल है। पार्टी के अधिकतर जाट नेताओं की चुनाव में हार हुई। भाजपा केवल 5 जाट सीटों पर जीत हासिल कर पाई। वहीं जे.जे.पी. ने 5 जाट सीटों पर जीत हासिल की और 5 स्वतंत्र उम्मीदवार भी जाट ही हैं। 

भाजपा इस पर विचार कर रही है कि उसे स्वतंत्र उम्मीदवारों में से कितने जाट लेने चाहिएं। भाजपा देवी लाल के छोटे बेटे रंजीत सिंह और पार्टी से बगावत करने वाले बलराज कुंडू को शामिल करने की इच्छुक है। केवल जाट ही नहीं, दलितों ने भी विधानसभा चुनावों में भाजपा को वोट नहीं दिया था। दलित समुदाय इसलिए भाजपा के खिलाफ गया क्योंकि उसे इस बात का डर था कि पार्टी एस.सी.-ए श्रेणी (वाल्मीकि और धानक) के लिए उप-कोटा बनाकर अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण व्यवस्था को कमजोर कर देगी। भाजपा इन सभी मुद्दों पर विस्तृत विचार के  बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार का काम करेगी।   

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