Edited By Pardeep,Updated: 02 Jul, 2020 04:44 AM
सरकार ने सभी अटकलों को विराम लगाते हुए फैसला किया है कि संसद का मानसून सत्र जुलाई-अगस्त के बजाय अगस्त-सितंबर में बुलाया जाएगा। संविधान के प्रावधान के अनुसार चूंकि बजट सत्र 23 मार्च को खत्म हु
नई दिल्लीः सरकार ने सभी अटकलों को विराम लगाते हुए फैसला किया है कि संसद का मानसून सत्र जुलाई-अगस्त के बजाय अगस्त-सितंबर में बुलाया जाएगा। संविधान के प्रावधान के अनुसार चूंकि बजट सत्र 23 मार्च को खत्म हुआ था, इसलिए मानसून सत्र 22 सितंबर से पहले हो जाना चाहिए।
पक्की तिथियां तय करने के लिए इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि कोरोना महामारी 10-15 जुलाई तक ऊंचाई पर जाकर ढलान पर आएगी। सरकार को उम्मीद है कि चीन से सीमा विवाद किसी समाधान की तरफ जाएगा जिससे पक्की तारीख तय करने में मदद मिलेगी। वैसे कुछ फैसले लिए गए हैं।
एक, संसद के केंद्रीय हाल में लोकसभा का कोई सत्र नहीं होगा तथा राज्यसभा सदस्य लोकसभा के कक्षों में स्थानांतरित नहीं किए जाएंगे। दूसरे, विज्ञान भवन में लोकसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव को भी अधिक समर्थन नहीं मिला। तीसरे, यह भी मान लिया गया कि ‘वर्चुअल संसद सत्र’ 2020 में तो संभव नहीं है क्योंकि सभी सांसदोंं को उनके घरों पर तथा उनके अधिकारियों को लीज लाइन उपलब्ध कराने का आई.टी. ढांचा फिलहाल देश में नहीं है यानि जूम जैसी सुविधा अभी सरकार के पास नहीं है।
अगर सूत्रों की मानें तो दो पीठासीन अधिकारियों ने तय किया है कि कोरोना काल में वे सामाजिक दूरी का पालन कराते हुए दोनों सदनों की कार्यवाही करवाएंगे। दोनों सदन अपने-अपने कक्ष में ही बैठेंगे परंतु सांसदों की काफी कम संख्या के साथ। इस बात पर गहन चर्चा चल रही है कि कितने सांसद किसी दिन विशेष को सत्र में बुलाए जाएं तथा बाकियों को कैसे उनके बाद बुलाया जाए। पता चला है कि बड़े राजनीतिक दल तो इसके लिए तैयार हैं परंतु छोटे अभी ना-नुकुर कर रहे हैं।