ऑफ द रिकॉर्डः राम मंदिर ट्रस्ट के गठन में देरी क्यों?

Edited By Pardeep,Updated: 22 Dec, 2019 04:21 AM

off the record why delay in formation of ram mandir trust

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की निगरानी के लिए ट्रस्ट बनाने को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को अधिकृत करने के 5 सप्ताह बाद भी गठन नहीं हो पाया है। वहीं सूत्रों का कहना है कि ट्रस्ट के गठन में देरी साधुओं सहित योग्य व्यक्ति यों को खोजने में हो रही है,...

नई दिल्लीः अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की निगरानी के लिए ट्रस्ट बनाने को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को अधिकृत करने के 5 सप्ताह बाद भी गठन नहीं हो पाया है। वहीं सूत्रों का कहना है कि ट्रस्ट के गठन में देरी साधुओं सहित योग्य व्यक्ति यों को खोजने में हो रही है, क्योंकि बड़ी संख्या में लोग ट्रस्टी बनने के लिए तैयार हैं जिसके लिए वे अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। इससे लगता है कि सरकार को सबसे योग्य ट्रस्टी चुनने के लिए लॉटरी या स्वयंवर आयोजित करना पड़ सकता है। 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के एक प्रतिनिधि को प्रस्तावित ट्रस्ट में शामिल करने की बात कही थी। सरकार अन्य ट्रस्टियों को शामिल करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन राम जन्मभूमि न्यास के संरक्षक नृत्य गोपाल दास ने घोषणा की कि न्यास 1985 में विहिप द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट है और तब से राम जन्मभूमि आंदोलन को अंजाम देने के लिए बड़ी धन राशि एकत्रित की है। उन्होंने कहा कि अब एक और ट्रस्ट बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है। 

सरकार इस बात पर गंभीरता से विचार कर रही है कि क्या राम मंदिर आंदोलन के अन्य प्रमुख नेताओं के एक प्रतिनिधि को ट्रस्ट में शामिल किया जाए या नहीं। विहिप के उपाध्यक्ष चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर को विहिप के अंतिम पर्यवेक्षण तहत बनाया जाना चाहिए लेकिन विहिप के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि नए ट्रस्ट के गठन में विहिप की भूमिका होनी चाहिए। रामालय ट्रस्ट के सचिव अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि ट्रस्ट का गठन बाबरी मस्जिद के टूटने के बाद किया गया था। 

देश के सभी 4 शंकराचार्य इस ट्रस्ट के सदस्य हैं। इन्हें अचानक कैसे हटाया जा सकता है। निर्मोही अखाड़े के महंत दीनेंद्र दास ने दावा किया कि विहिप को सरकार को अर्जित धन सौंपना चाहिए। 2 दर्जन से अधिक ट्रस्ट और एन.जी.ओ. हैं जिन्होंने मंदिर के लिए अयोध्या में आगंतुकों और भक्तों से धन एकत्रित किया था। हालांकि, आर.एस.एस. प्रमुख मोहन भागवत ने स्पष्ट किया कि राम मंदिर का निर्माण करना आर.एस.एस. का कार्य नहीं था। हालांकि, आर.एस.एस. सरकार को ट्रस्ट के गठन संबंधी सुझाव जरूर देगा।

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