Edited By Pardeep,Updated: 13 Nov, 2020 04:49 AM
रियल टाइम-पालिमर्स चेन रिएक्शन टैस्ट (आर.टी.-पी.सी.आर. टैस्ट) को ‘विश्वसनीय कोरोना टैस्ट’ माना जाता है। लेकिन भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई.सी.एम. आर.),केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आधिकारिक सूत्रों के आंकड़ों से
नई दिल्लीः रियल टाइम-पालिमर्स चेन रिएक्शन टैस्ट (आर.टी.-पी.सी.आर. टैस्ट) को ‘विश्वसनीय कोरोना टैस्ट’ माना जाता है। लेकिन भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आई.सी.एम. आर.),केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आधिकारिक सूत्रों के आंकड़ों से पता चलता है कि अधिकांश राज्य इसका संचालन नहीं कर रहे हैं। इसके बजाय वे एक अविश्वसनीय रैपिड एंटीजन टैस्ट (आर.ए.टी.), ट्रूनेट आदि की ओर जा रहे हैं।
6 नवम्बर तक 11.70 करोड़ टैस्ट किए जा चुके थे लेकिन केवल 35 प्रतिशत ही आर.टी.-पी.सी.आर. द्वारा टैस्ट किए गए। केंद्र द्वारा राज्यों को बार-बार बड़े स्तर पर आर.टी.-पी.सी.आर. टैस्ट करने की दलीलें देने के बावजूद, बड़ी संख्या में राज्य अपने कदम पीछे खींच रहे हैं और अविश्वसनीय आर.ए.टी. और सस्ते टैस्ट करने पर जोर दे रहे हैं जिससे नागरिकों को बार-बार पीड़ा से गुजरना पड़ता है।
आर.टी.-पी.सी.आर. टैस्ट नहीं करने के कारणों में से एक तो इस टैस्ट की लागत है। देश में कुल 2069 कोविड जांच प्रयोगशालाओं में से 1107 आर.टी.-पी.सी.आर. टैस्ट करने के योग्य हैं, लेकिन यह अभी भी उन गरीब लोगों की पहुंच से बाहर है जो निर्धारित कीमत से ज्यादा का भुगतान करते हैं। जबकि आई.सी.एम.आर. ने आर.टी.-पी.सी.आर. टैस्ट की कीमत 2400 रुपए तय कर दी है, जबकि महाराष्ट्र, यू.पी. और कर्नाटक सहित कई राज्यों ने इसे 600 रुपए से कम पर तय कर दिया है। वास्तव में, तमिलनाडु देश का एकमात्र राज्य है जहां आर.टी.-पी.सी.आर. जांच की उच्च दर 99.9 प्रतिशत है।
चौंकाने वाली बात यह है कि बिहार की आर.टी.-पी.सी.आर. टैस्टों में भागीदारी 15 प्रतिशत है जो देश में सबसे कम है। तमिलनाडु की 147 प्रयोगशालाओं की तुलना में यहां इस तरह की सबसे कम 18 प्रयोगशालाएं है। दिलचस्प बात यह है कि 6 नवम्बर तक 1.50 करोड़ टैस्टों के साथ यू.पी. शीर्ष पर है। वहीं एकमात्र सुकून देने वाली बात यह है कि कोरोना मामले प्रतिदिन लगभग 50 हजार के लगभग,मृत्युदर 1.5 प्रतिशत और दैनिक टैस्ट प्रतिदिन लगभग 12 लाख को छू रहे हैं।