ऑफ द रिकॉर्डः भाजपा में अन्य लोगों की तुलना में योगी प्रधानमंत्री की पहली पसंद

Edited By Pardeep,Updated: 05 Aug, 2020 06:18 AM

off the record yogi prime minister s first choice over others in bjp

जब से उत्तर प्रदेश में भाजपा ने सत्ता में वापसी की और यू.पी. के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में योगी आदित्यनाथ शामिल हुए तब से ही पार्टी में उनका राजनीतिक ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। लुटियन दिल्ली की

नई दिल्लीः जब से उत्तर प्रदेश में भाजपा ने सत्ता में वापसी की और यू.पी. के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में योगी आदित्यनाथ शामिल हुए तब से ही पार्टी में उनका राजनीतिक ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। लुटियन दिल्ली की चकाचौंध से दूर, योगी आदित्यनाथ यू.पी. में कड़ी मेहनत कर रहे हैं और देश में अपनी अलग छवि बना रहे है। 
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योगी बेशक भगवाधारी हैं, लेकिन उनकी विचारधारा और हिंदुत्व एक प्रशासक के रूप में कभी भी उनके रास्ते में नहीं आए हैं। वह एक सख्त राजनेता के रूप में उभरे हैं। उनकी कार्यशैली के प्रति राजनीतिक वर्ग और अभिजात वर्ग भिन्न हो सकते हैं और कुछ उन्हें मुस्लिम विरोधी करार भी देते हैं। कुछ ने उन्हें जातिवाद को बढ़ावा देने के लिए भी दोषी ठहराया लेकिन उन्होंने पार्टी में अपने लिए एक जगह बनाई है। उन्होंने अपने तरीके से लड़ाई लड़ी और अपने अनुभवी साथियों के बीच एक स्थापित मुख्यमंत्री हैं। 
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जाहिर है, अब वह शिवराज सिंह चौहान से भी आगे भाजपा के लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि वह अब नरेंद्र मोदी और अमित शाह के बाद तीसरे नंबर पर हैं। बेशक, राजनाथ सिंह आधिकारिक रूप से पार्टी और सरकार में नंबर-2 आदमी हैं, लेकिन योगी ने देश में कट्टर हिंदुत्ववादी ताकतों के दिलों को खुश कर दिया है। 
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योगी भले ही चौथी बार लोकसभा सांसद बने थे, लेकिन वे मुख्यधारा की राजनीति में खुद के लिए जगह नहीं बना सके थे। वहीं यू.पी. में मुख्यमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति से उनके दुश्मनों को झटका लगा। दिल्ली में मुख्यमंत्री पद के लिए कड़े शक्ति प्रदर्शन के बाद भी वह अपनी ताकत दिखा शीर्ष पद पर आ पहुंचे। इससे पता चलता है कि भाजपा में अन्य लोगों की तुलना में प्रधानमंत्री योगी को ज्यादा पसंद करते हैं। 
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राम मंदिर समारोह में आमंत्रितों की सूची एक संकेत है कि योगी दिल्ली में कई शीर्ष राजनीतिज्ञों से भी आगे हैं। अगर रिपोर्टों पर विश्वास किया जाए तो वह सितम्बर-अक्तूबर में यू.एस.ए. जाने की संभावना तलाश रहे हैं। वह उसी निर्वाचन क्षेत्र में संबोधित करना चाहते हैं जहां मोदी ने विदेशी दौरे दौरान अपनी ताकत दिखाकर विदेशों में अपनी पकड़ मजबूत बनाई थी। ऐसे में कुछ लोगों ने उन्हें सलाह दी कि जनवरी में राष्ट्रपति चुनाव के बाद ही उन्हें अमरीका जाना चाहिए। इस विषय पर अंतिम फैसला लिया जाना अभी बाकी है।

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