क्या आईएसआईएस बांग्लादेश से हिंदुओं को साफ कर देगा?

Edited By ,Updated: 26 May, 2016 05:17 PM

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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले का सिलसिला रुक नहीं रहा है। ताजा घटना में गोबिंदगंज के एक हिदू की गला रेत कर हत्या कर दी

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले का सिलसिला रुक नहीं रहा है। ताजा घटना में गोबिंदगंज के एक हिदू की गला रेत कर हत्या कर दी गई है। हत्या का कारण अभी पता नहीं चला है। अ्प्रैल के महीने में भी ऐसे ही एक हिंदू की निर्मम हत्या कर दी गई थी। यह वारदात पूर्वी बांग्लादेश के एक ज़िले में हुई थी। वहां एक दर्ज़ी को मार उाला गया था। पुलिस के मुताबिक़ मारे गए दर्जी को वर्ष 2012 में इस्लाम के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक बातें करने पर हिरासत में लिया गया था। बाद में उसे छोड़ दिया गया। बांग्लादेश में बीते कुछ दिनों में इस तरह की कई हत्याएं हुई हैं और कट्टर इस्लामी चरमपंथियों ने इनकी ज़िम्मेदारी ली है। ज्यादातर वारदातों में पुलिस कारण खोजने में नाकाम रही है।

पिछले दिनों उत्‍तरी पंचागढ़ जिले में स्थित एक मंदिर में घुसकर कुछ लोगों ने पुजारी की हत्‍या कर दी। इस हमले में कुछ हिंदू श्रद्धालु भी घायल हो गए थे। बांग्‍लादेश की लेखिका तसलीमा नसरीन ने एक बार लिखा था कि आईएसआईएस हिंदुओं को बांग्‍लादेश में रहने नहीं देगा। इन दिनों जो हत्याएं हो रही हैं, क्या इस लेखिका की बात की इससे पुष्टि होती है ? इस घटना में भी वही दोहराया गया कि हमलावरों की पहचान या हत्या के पीछे का मकसद साफ नहीं है। सुन्नी बहुल बांग्लादेश में कुछ महीनों में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर सुनियोजित हमलों में दो विदेशियों सहित नौ लोगों की मौत हो गई। तकरीबन 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इन्हीं ​में शामिल है दिसंबर 2015 की घटना। ढाका से 415 किलोमीटर दूर दिनाजपुर जिले हिंदू सभा में हुए बम धमाके में 6 लोग घायल हो गए थे। वहां आयोजित एक शो को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटे थे, अचानक विस्फोट हो गया। 

गौर करने की बात है कि पाकिस्तान और भारत के कुछ बुद्धिजीवियों मानते हैं कि यहां मुसलमानों की हालत बहुत ख़राब है। पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में हिंदुओं पर किस तरह के अत्याचार हो रहे हैं इस पर कोई बहस नहीं करता। इन दोनों देशों में हिंदू आबादी क्यों तेज़ी से घट रही ह? इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती। देखा जाए तो दुनिया में हिंदू आबादी वाले तीन सबसे बड़े देशों में बांग्लादेश का नाम भी शामिल है।

पहले स्थान पर भारत है। यहां 97 करोड़ से अधिक हिंदुओं की आबादी है। दूसरे स्थान पर नेपाल का नंबर है। वहां हिंदुओं की आबादी करीब ढाई करोड़ है। तीसरे स्थान पर आता है बांग्लादेश। वहां करीब हिंदुओं की आबादी डेढ़ करोड़ है। जब 1947 में भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था उस समय बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था। वहां हिंदुओं की आबादी करीब 28 फीसदी थी। इसके बाद 1971 में बांग्लादेश का जन्म होने के बाद 1981 में जनगणना से पता चला कि यह आबादी सिर्फ़ 12 फीसदी रह गई थी। फिर वर्ष 2011 में जब जनगणना हुई तो हिंदुओं की आबादी 9 फीसदी से भी कम रह गई। यानि 40 वर्षों में यह 19 फीसदी घट गई।

माना जाता है कि 1947 के बाद से बांग्लादेश में इस्लामीकरण के नाम पर करीब 30 लाख हिंदुओं की हत्याएं की गईं। यही वजह रही कि वहां से बड़ी संख्या में लोग भारत में शरण लेने के लिए आने लगे। इसमें 60 फीसदी आबादी अल्पसंख्यक हिंदुओं की थी। वर्ष 1981 में बांग्लादेश की पहली जनगणना हुई तो उसमें करीब 5 करोड़ हिंदू गायब थे। वर्ष 2013 और 2014 में इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के नेताओं को 1971 में हिंदू अल्पसंख्यकों के नरसंहार का दोषी पाया और सज़ा दी गई। एक 
अनुमान के अनुसार बांग्लादेश में पिछले 10 वर्षोंं में 10 लाख से भी ज़्यादा हिंदू आबादी गायब हो गई थी। इस पर कभी भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान नहीं गया। वर्ष 1988 में बांग्लादेश ने ख़ुद को इस्लामिक देश घोषित कर दिया, जहां इस्लाम को राज्य के धर्म के रूप में मान्यता मिली। खालिदा ज़िया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात ए इस्लामी जैसी पार्टियों ने कट्टरपंथियों को बढ़ावा दिया।

बांग्लादेश में इस तालिबानीकरण का सबसे आसान शिकार हिंदू अल्पसंख्यक बने। वेस्टेड प्रॉपर्टी एक्ट के तहत हिंदू अल्पसंख्यकों की संपत्तियों को हड़प लिया गया, जिससे वो देश छोड़ने पर मजबूर हुए। वर्ष 2009 में शेख हसीना के प्रधानमंत्री बनने के बाद अल्पसंख्यकों को सुरक्षा का भरोसा था, क्योंकि शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को उदारवादी माना जाता है। लेकिन वर्ष 2014 के चुनाव से पहले और बाद में हिंदू अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले किए गए। सरकार उन्हें रोकने में सरकार नाकाम रही।

इसके बाद हिंदू समुदाय की संपत्तियों को लूटना, आग लगाना, हत्याएं, महिलाओं के साथ गैंग रेप, उनके धार्मिक स्थलों को क्षति पहुंचाना आम बात हो गई है। इससे जाहिर होता है कि वहां की सरकार बिल्कुल असहाय है जो ऐसी घटनाओं पर रोक नहीं लगा पा रही है। क्या लेखिका तस्लीमा नसरीन की बात पर पूरी तरह यकीन कर लिया जाए कि आईएसआईएस बांग्लादेश से हिंदुओं को साफ कर देगा?
 

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