कश्मीर विश्वविद्यालय में आयोजित ‘ऋषि- सूफी परंपराओं का कश्मीर‘‘ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

Edited By Monika Jamwal,Updated: 23 Oct, 2020 02:33 PM

one day national seminar on rishi sufi traditions of kashmir held

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और उपकुलपति ऋषि-सूफी परंपराओं की कश्मीर‘‘ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की।

श्रीनगर/जम्मू : उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और उपकुलपति  ऋषि-सूफी परंपराओं की कश्मीर‘‘ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की। राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन मार्कज-ए नूर, सेंटर फॉर शेख-उल आलम स्टडीज, कश्मीर विश्वविद्यालय, गांधी भवन, कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर में किया गया । उपराज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्रचलित अराजक वैश्विक और क्षेत्रीय परिदृश्य में रेसिस और सूफियों की विरासत के प्रचार और पालन के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है। उन्होंने इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर कश्मीर के सांस्कृतिक परिवर्तन में सूफियों और रेशियों की प्रतिष्ठित भूमिका को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।


उपराज्यपाल ने प्रमुख संत लल्लेश्वरी के शब्दों को दोहराया जिसमें उन्होंने लोगों से ईश्वर की तलाश करने और जनता के बीच धार्मिकता पर जोर दिया। उन्होंने कश्मीरी आध्यात्मिक विचार की अनूठी प्रकृति पर भी प्रकाश डाला जो कि सूफीवाद के साथ शैव धर्म के तत्वों को जोडऩा चाहता है। नंद ऋषि, जिसे शेख नूर-उद-दीन के नाम से भी जाना जाता है, को याद करते हुए, उपराज्यपाल ने कहा कि वह एक सुप्रसिद्ध व्यक्ति थे और हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमानों के भी एकसमान पूज्यनीय थे। उन्होंने कश्मीर के ऋशि-सूफी परंपराओं में मानवतावाद की भावना की प्रशंसा की।


उपराज्यपाल ने जनता से सच्चे कश्मीरियत की जड़ों का पता लगाने का भी आह्वान किया, जो विभिन्न जातियों, धर्मों और सामाजिक स्थिति के लोगों के बीच सार्वभौमिक भाईचारे और समानता में विश्वास करता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक अशांति का एक प्रमुख कारण यह है कि यहां के लोग अपने पारंपरिक आध्यात्मिक मूल्यों के साथ संपर्क खो चुके हैं। उन्होंने लोगों से कश्मीर की ऋशि-सूफी परंपराओं को अपनाने और सांप्रदायिक विभाजन के सभी लक्षणों को खत्म करने में बढचढ कर भाग लेने को कहा।


उपराज्यपाल ने प्रो बशीर बशीर और प्रो तलत अहमद की कश्मीर की सूफी परंपराओं को पुनर्जीवित करने के उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने ने कहा कि इस तरह के नए प्रयासों के साथ, निश्चित रूप से जम्मू-कश्मीर में शांति का माहौल कायम होगा।  प्रो तलत अहमद, कुलपति, कश्मीर विश्वविद्यालय, ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कश्मीर में ऋशि-सूफी परंपराओं की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि वर्तमान पीढ़ी में आध्यात्मिक वास्तविकताओं के प्रति एक गंभीर असंतोष देखा जा रहा है।  इस अवसर पर प्रो बशीर बशीर ने कश्मीर में सौहार्द और भाईचारे को बढ़ावा देने में ऋशि और सूफी के रूप में शेख-उल आलम (आरए) की भूमिका पर प्रकाश डाला   इस अवसर पर अध्यक्ष मार्कज-ए-नूर, प्रो जी खाकी ने अपने सम्बोधन में इस तरह के अकादमिक कार्यक्रमों के आयोजन के महत्व को रेखांकित किया और योग्य प्रतिभागियों, शिक्षाविदों और विद्वानों का स्वागत भी किया।
   इस अवसर पर भाग लेने वालों में मंडलायुक्त कष्मीर पांडुरंग के पोल, सरकार के सचिव, युवा सेवा और खेल, पर्यटन और संस्कृति विभाग कश्मीर सरमद हफीज, कुलपति कष्मीर विष्वविद्यालय प्रो मेहराज-उद दीन, निदेशक एनआईटी, श्रीनगर, प्रो राकेश सहगल,  अतिरिक्त विभिन्न श्राइन, विद्वानों, लेखकों, कवियों, प्रशासकों, शिक्षाविदों और प्रसिद्ध हस्तियां भी शामिल थीं।

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