चीन के उकसावे पर नेपाल ने भारत के खिलाफ बनाया नया प्लान, विशेषज्ञ बोले- "ये असंभव"

Edited By Tanuja,Updated: 22 Sep, 2020 11:14 AM

opinions sharply divided over holding census in nepal

चीन की दोस्ती के जाल में फंस चुके नेपाल ने लगाता भारत के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपने ...

इंटरनेशनल डेस्कः चीन की दोस्ती के जाल में फंस चुके नेपाल ने लगाता भारत के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल करने के बाद नेपाल अब यहां जनगणना करना चाहता है। वह घर-घर जाकर लोगों की गिनती नेपाली नागरिकों के रूप में करना चाहता है, लेकिन भारत की ओर से रोके जाने के डर से अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहा है। हालांकि, नेपाल के ही कई विशेषज्ञों ने सरकार को बता दिया है कि यह असंभव है।

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नेशनल प्लानिंग कमिशन और सेंट्रल ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स अगले साल 28 मई से 12वां नेशल पॉप्युलेशन एंड हाउजिंग सेंसस करने की तैयारी में जुटा है। नेपाल के प्रमुख अखबार काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक और प्रशासनिक नेतृत्व इस सवाल पर मंथन में जुटा है कि क्या कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा में जनगणना संभव है और यदि हां तो इसे कैसे कराया जाए। प्लानिंग कमिशन के सदस्य बहादुर शाई ने काठमांडू पोस्ट से कहा, ''निश्चित तौर पर हम कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा में जनगणना कराएंगे।''रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारी घर-घर जाकर गिनती ना कर सकने की स्थिति के लिए दूसरे विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं।

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अखबार के मुताबिक, नेपाल ने लिपुलेख में छह दशक पहले जनगणना की थी। सर्वे डिपार्टमेंट के पूर्व महानिदेशक बुद्धि नारायण श्रेष्ठ के मुताबिक नेपाल ने 1991 में भी तीन गांवों कुंजी, नवी और कुती में लोगों और घरों की गिनती की थी। लेकिन वह मानते हैं कि अब ऐसा संभव नहीं है। हालांकि, उस समय भी भारतीय सेना ने नेपाल को सर्वे करने से रोका था। प्लानिंग कमिशन और स्टैटिक्स ब्यूरो के अधिकारियों का कहना है कि कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा नेपाली क्षेत्र है, इसलिए वे यहां जनगणना करना चाहते हैं। हालांकि, नेपाल के कई सांसद और सर्वे डिपार्टमेंट के पूर्व महानिदेशकों का कहना है कि ऐसा करना संभव नहीं है, क्योंकि ये विवादित इलाके हैं और भारत यहां जाने की इजाजत नहीं देगा।

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नेपाल ने इसी साल मई में अपना नया राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी किया, जिनमें इन इलाकों को शामिल किया गया। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। नेपाल सरकार ने इसके लिए संविधान में संशोधन भी किया। श्रेष्ठ ने कहा, ''मैं नहीं मानता कि हमारे गणनाकार अब इन गांवों में जा सकते हैं, क्योंकि भारतीय सेना उन्हें कालापानी में जाने नहीं देगी, जहां बड़ी संख्या में सैनिक तैनात हैं। जबसे हमने धारचुला में सीमा पोस्ट बना दी है, भारतीय पक्ष खुश नहीं है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि यहां घर-घर जाकर जनगणना संभव है।''

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