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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को पद से हटाने के लिए विपक्ष लाया अविश्वास प्रस्ताव, पक्षपात का लगाया आरोप

Edited By rajesh kumar,Updated: 10 Dec, 2024 02:07 PM

opposition introduced a motion to remove vice president dhankhar

विपक्षी दलों ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने के लिए नोटिस पेश किया। सूत्रों के मुताबिक, यह नोटिस राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को सौंपा गया।

नेशनल डेस्क: विपक्षी दलों ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने के लिए नोटिस पेश किया। सूत्रों के मुताबिक, यह नोटिस राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को सौंपा गया। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस, आरजेडी, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआई-एम, जेएमएम, आप, डीएमके समेत करीब 60 विपक्षी सांसदों ने नोटिस पर हस्ताक्षर किए हैं।

अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था- जयराम रमेश
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि धनखड़ के "अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से राज्यसभा की कार्रवाई संचालित करने" के कारण यह कदम उठाना पड़ा है। रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, "राज्यसभा के माननीय सभापति द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीक़े से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण इंडिया गठबंधन के सभी घटक दलों के पास उनके खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।"

कई मुद्दों को लेकर धनखड़ से नाराज है विपक्ष 
कांग्रेस की अगुआई में यह नोटिस विपक्षी दलों और राज्यसभा के सभापति के बीच अशांत संबंधों के मद्देनजर आया है। विपक्ष कई मुद्दों को लेकर धनखड़ से नाराज है, जिसमें सबसे ताजा मामला यह है कि उन्होंने सत्ता पक्ष के सदस्यों को उच्च सदन में कांग्रेस-सोरोस "संबंध" का मुद्दा उठाने की अनुमति दी है। उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने के लिए न्यूनतम आवश्यक संख्या 50 है।

दिग्विजय ने सभापति पर लगाया पक्षपात का आरोप 
कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा के सभापति पर पक्षपात करने का आरोप लगाया था। इस वर्ष अगस्त में भारतीय ब्लॉक दलों ने उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाने के लिए प्रस्ताव पेश करने के लिए नोटिस प्रस्तुत करने पर भी विचार किया था।

क्या कहता है अनुच्छेद 67(बी)
संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के अनुसार, "उपराष्ट्रपति को राज्य सभा द्वारा पारित प्रस्ताव द्वारा पद से हटाया जा सकता है, जिसे राज्य सभा के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित किया जाता है तथा लोक सभा द्वारा सहमति व्यक्त की जाती है; लेकिन इस खंड के प्रयोजन के लिए कोई प्रस्ताव तब तक पेश नहीं किया जाएगा, जब तक कि प्रस्ताव पेश करने के इरादे से कम से कम चौदह दिन का नोटिस न दिया गया हो।"


 

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