सुप्रीम कोर्ट के क्रीमी लेयर पर टिप्पणी को लेकर विपक्ष पैदा कर रहा भ्रम, बोले कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

Edited By Utsav Singh,Updated: 11 Aug, 2024 06:07 PM

opposition is creating confusion regarding creamy layer arjun ram meghwal

देश में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के क्रीमी लेयर आरक्षण को लेकर चल रही बहस पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे सुप्रीम कोर्ट की ‘क्रीमी लेयर’ पर की गई टिप्पणी को...

नेशनल डेस्क : देश में अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के क्रीमी लेयर आरक्षण को लेकर चल रही बहस पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे सुप्रीम कोर्ट की ‘क्रीमी लेयर’ पर की गई टिप्पणी को लेकर लोगों के बीच गलतफहमियाँ पैदा कर रहे हैं। मेघवाल ने कहा कि बीआर आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान में ‘क्रीमी लेयर’ का कोई प्रावधान नहीं है।

आंबेडकर के संविधान के प्रति प्रतिबद्धता
मेघवाल ने भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) और एनडीए सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट करते हुए कहा कि ये सरकार आंबेडकर के संविधान की आत्मा को बनाए रखते हुए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था को जारी रखेगी। उन्होंने बताया कि ‘क्रीमी लेयर’ का संदर्भ उन एससी और एसटी व्यक्तियों से है जो उच्च आय वर्ग में आते हैं, और इसका मतलब है कि उन लोगों को आरक्षण के लाभ से बाहर रखा जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर विवाद
मेघवाल ने आगे कहा कि विपक्ष यह जानते हुए भी कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘क्रीमी लेयर’ पर केवल एक टिप्पणी की है, लोगों में भ्रम फैलाने का प्रयास कर रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस मुद्दे पर टिप्पणी की थी कि ‘क्रीमी लेयर’ के आधार पर अनुसूचित जातियों और जनजातियों को आरक्षण देने से इनकार करने का विचार पूरी तरह निंदनीय है। खरगे ने सुझाव दिया था कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के कुछ हिस्सों को संसद में कानून बनाकर निरस्त करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की स्थिति
मेघवाल ने यह स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ यह कहा है कि राज्य अगर चाहें तो वे उप-वर्गीकरण कर सकते हैं, लेकिन कोर्ट ने क्रीमी लेयर पर कोई निर्णायक फैसला नहीं दिया। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और आदेश के बीच अंतर होता है, और विपक्ष को इस अंतर को समझना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इस महीने की शुरुआत में, चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से यह निर्णय दिया था कि राज्य अनुसूचित जातियों और जनजातियों में उप-वर्गीकरण कर सकते हैं। इससे राज्यों को अधिक पिछड़ी जातियों को आरक्षण देने की सुविधा मिलेगी। न्यायाधीश बी.आर. गवई ने अपनी अलग राय में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को अनुसूचित जातियों और जनजातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का अधिकार प्रदान किया है, जिससे अधिक वंचित जातियों की स्थिति में सुधार हो सके।

 

 

 

Related Story

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!