विपक्षी दलों ने राज्यसभा की कार्यवाही का किया बहिष्कार, निलंबित सांसदों का धरना खत्म

Edited By Yaspal,Updated: 22 Sep, 2020 05:42 PM

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कांग्रेस के नेतृत्व में कई विपक्षी दलों ने किसानों के मुद्दे और आठ विपक्षी सदस्यों का निलंबन रद्द किए जाने की मांग को लेकर मंगलवार को मानसून सत्र की शेष अवधि में राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किया। इसके बाद निलंबित सांसदों ने संसद...

नई दिल्लीः कांग्रेस के नेतृत्व में कई विपक्षी दलों ने किसानों के मुद्दे और आठ विपक्षी सदस्यों का निलंबन रद्द किए जाने की मांग को लेकर मंगलवार को मानसून सत्र की शेष अवधि में राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किया। इसके बाद निलंबित सांसदों ने संसद भवन परिसर में अपना धरना खत्म कर दिया। दूसरी तरफ, किसानों के मुद्दे पर कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने लोकसभा की कार्यवाही के बहिष्कार का भी फैसला किया।

गौरतलब है कि विपक्षी दलों ने रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे के चलते सोमवार को आठ विपक्षी सदस्यों को निलंबित किए जाने को लेकर सरकार पर निशाना साधा था तथा इस कदम के विरोध में वे संसद भवन परिसर में ‘‘अनिश्चितकालीन'' धरने पर बैठ गए थे। निलंबित किए गए आठ सांसदों में कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्य शामिल हैं। उच्च सदन में कृषि संबंधी विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान ‘‘अमर्यादित व्यवहार'' के कारण इन सदस्यों को मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया है।

राज्यसभा में कांग्रेस ने सबसे पहले सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया। उसके बाद माकपा, भाकपा, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, सपा, शिवसेना, राजद, द्रमुक, आप आदि दलों के सदस्य भी सदन से बाहर चले गए। ऊपरी सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने आठ निलंबित सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग की। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार से तीन मांगें हैं। उन्होंने कहा कि सरकार दूसरा विधेयक लेकर आए और यह सुनिश्चित करे कि निजी कंपनियां किसानों की फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमतों पर नहीं खरीदें।

आजाद ने मांग की कि एमएसपी को स्वामीनाथन आयोग के सी 2 फार्मूले के हिसाब से निर्धारित किया जाना चाहिए और निजी कंपनियों के साथ-साथ भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के लिए भी अनिवार्य हो कि वह एमएसपी से कम कीमत पर किसानों की उपज की खरीद नहीं करे। उन्होंने कहा ‘‘ जिन सदस्यों को मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया है, उनका निलंबन रद्द कर दिया जाए। जब ​​तक सरकार ये तीन चीजें नहीं करती, हम सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करेंगे।'' उन्होंने कहा कि समय की कमी ही समस्या की जड़ है। उन्होंने सुझाव दिया कि सदस्यों को अधिक समय तक बोलने की अनुमति मिलनी चाहिए।

कांग्रेस नेता ने कहा कि खासकर छोटे दलों को दो तीन मिनट का समय मिलता है जिसमें बात पूरी नहीं हो पाती। उन्होंने कहा ‘‘ इसे समय के बंधन में नहीं बांधें।'' उन्होंने रविवार की घटना के संदर्भ में कहा कि वह आसन और सरकार की मजबूरी समझते हैं। उन्होंने कहा ‘‘उस दिन सदन की भावना की बात हुयी लेकिन सदन की भावना सदस्यों की संख्या से तय नहीं होती। यह राजनीतिक दलों पर निर्भर होनी चाहिए। उस दिन 18 पार्टियां एक साथ थीं।''

आजाद ने कहा कि सरकार एक राष्ट्र, एक बाजार, एक देश, एक कर और फिर एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड पर जोर देती रही हे। ‘‘लेकिन भगवान के लिए एक राष्ट्र, एक पार्टी की ओर नहीं जाएं।'' कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और निलंबित सांसदों में शामिल राजीव सातव ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘विपक्ष इस सत्र में उच्च सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करेगा। ऐसे में हमने धरना खत्म कर दिया है। अब हम सड़क पर आंदोलन करेंगे।''

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