तीन तलाक बिल पर बिखरा विपक्ष, सहयोगियों पर भड़की कांग्रेस

Edited By Yaspal,Updated: 30 Jul, 2019 09:17 PM

opposition parties dispersed on triple talaq bills

संसद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले एक ऐतिहासिक विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान...

नेशनल डेस्कः संसद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले एक ऐतिहासिक विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया।
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तीन तलाक का विरोध करने वाले दलों के राज्यसभा में वोटिंग के दौरान गैरमौजूदगी पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस का कहना है कि पार्टी बिल पार्टी बिल को सेलेक्ट कमेटी भेजना चाहती थी, जिसके लिए वोटिंग हुई, लेकिन इस दौरान तीन तलाक बिल का विरोध करने वाले कई दिल ऊपरी सदन से नदारद रहे। ऐसे में उनके इस विरोध का क्या मतलब है?

कपिल सिब्बल ने खड़े किए सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, “हम चाहते थे कि तीन तलाक बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए। लेकिन सरकार ने बात नहीं मानी। इसलिए वोटिंग कराई गई। लेकिन सवाल उन लोगों पर है, जो वोटिंग के दौरान सदन से गायब हो गए, जिन लोगों ने सदन में तीन तलाक बिल का विरोध किया, वे गैर मौजूद रहे। अगर उन्हें दूर ही रहना था तो विरोध की बात करने का मतलब क्या है?”
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दरअसल, मुस्लिम महिलाओं से एक साथ तीन तलाक अपराध करार देने वाला बिल राज्यसभा से भी पारित हो गया। इस बिल के कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है। राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद यह कानूनी तौर पर लागू हो जाएगा। ऊपरी हाउस में मुस्लिम विवाह विधेयक के पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि 84 सांसदों ने इसका विरोध किया।

मगर तीन तलाक बिल पर वोटिंग के दौरान शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल और राम जेठमलानी नहीं आए। वहीं बसपा, पीडीपी, टीआरएस, जेडीयू, एआईएडीएमके और टीडीपी जैसे कई दलों के वोटिंग में हिस्सा न लेने के चलते सरकार को यह बिल पास कराने में आसानी हुई। बिल की मंजूरी से विपक्ष की कमजोर रणनीति भी उजागर हुई और इसी बात को लेकर कपिल सिब्बल ने नाराजागी जताई है। इस बिल का तीखा विरोध करने वाली कांग्रेस कई अहम दलों को अपने साथ बनाए रखने में असफल रही।
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सेलेक्ट कमेटी को भेजने का प्रस्ताव गिर गया
बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव 100 के मुकाबले 84 वोटों से गिर गया। बिल का विरोध करने वाले जेडीयू, एनसीपी, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), बसपा और पीडीपी जैसे कई दल वोटिंग से दूर रहे। राज्यसभा में यह बिल पास होना सरकार के लिए बड़ी कामयाबी माना जा रहा है क्योंकि उच्च सदन में अल्पमत में होने की वहज से उसके लिए इस बिल को पास कराना मुश्किल था। इससे पहले भी एक बार उच्च सदन से यह बिल गिर गया था।

 

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