Edited By Seema Sharma,Updated: 20 Jul, 2018 12:25 AM
मोदी सरकार के खिलाफ तेलुगुदेशम पार्टी (तेदेपा) की ओर से पेश अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में चर्चा के लिए बुधवार को स्वीकार किया गया और इस पर चर्चा और वोटिंग शुक्रवार को कराई जाएगी। इस दिन सदन में न तो प्रश्नकाल होगा और न ही गैर-सरकारी कामकाज।
नेशनल डेस्कः मोदी सरकार के खिलाफ तेलुगुदेशम पार्टी (तेदेपा) की ओर से पेश अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में चर्चा के लिए बुधवार को स्वीकार किया गया और इस पर चर्चा और वोटिंग शुक्रवार को कराई जाएगी। इस दिन सदन में न तो प्रश्नकाल होगा और न ही गैर-सरकारी कामकाज। सुबह 11 बजे से चर्चा शुरू की जाएगी और उसी दिन प्रस्ताव पर मतदान भी कराया जाएगा। मोदी सरकार के चार साल से ज्यादा के कार्यकाल में उसके खिलाफ पहली बार अविश्वास प्रस्ताव आया है।
मोदी सरकार के खिलाफ आए इस अविश्वास प्रस्ताव के साथ ही अटकलों का बाजार गर्म हो गया है और अब सभी को इंतजार है 20 जुलाई का। मोदी सरकार विपक्ष के जाल में फंसी है या विपक्ष पीएम के जाल में इसकी तस्वीर तो शुक्रवार को ही साफ हो पाएगी। 2019 में किसके पास ज्यादा पावर है यह भी इस प्रस्ताव पर चर्चा के बाद स्पष्ट हो जाएगा। जहां कांग्रेस को अन्य विपक्षी दलों का साथ मिला है वहीं मोदी सरकार इस एकजुटता को लेकर ज्यादा आशंकित नहीं दिख रही है।
इन प्वाइंट्ससे समझिए मोदी सरकार का दांव
- अविश्वास प्रस्ताव से मोदी विचलित नहीं हैं क्योंकि यह उनके लिए पक्ष में ही है। दरअसल मोदी और विपक्ष ने यह दांव 2019 के लिए खेला है। मोदी अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष को हराकर यह स्पष्ट कर सकते हैं कि आगामी चुनाव में उनकी स्थिति क्या है।
- मोदी सरकार के पास के पर्याप्त मैंबर नंबर है, ऐसे में सरकार सदन में अविश्वास प्रस्ताव की अग्निपरीक्षा को आसानी से पार कर लेगी।
- 21 जुलाई को पश्चिम बंगाल में ‘शहीद दिवस’ मनाया जाना है। जिस कारण तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सदन में उपस्थित नहीं हो पाएंगे जो विपक्ष के लिए झटका है।
- तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण प्रस्ताव है और एक दल के 35 सांसद सदन से अनुपस्थित रहेंगे, जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं होगा।
- एनडीए की एक प्रमुख सहयोगी शिवसेना ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन भाजपा आश्वस्त है कि शिवसेना उनका साथ देगी। अविश्वास प्रस्ताव पर संजय राउत ने कहा भी है कि वोटिंग के दौरान हम वहीं करेंगे जो उद्धव ठाकरे हमें करने को कहेंगे।
- लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने टीडीपी द्वारा आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर अविश्वास प्रस्ताव मंजूर किया है न कि मोदी सरकार की विफलताओं के मुद्दे पर। यह बात भी मोदी के पक्ष में है।
- टीडीपी सांसद जेसी दिवाकर रेड्डी ने अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली बहस और वोटिंग से दूर रहने का ऐलान किया है जो कि चंद्रबाबू नायडू के लिए एक बड़ा झटका है।
- मोदी सरकार के खिलाफ अक्सर बयानबाजी करने वाले भाजपा के ही पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा पहली मोदी के पक्ष में आए हैं। उन्होंने हाल ही में कहा कि वे मोदी के पक्ष में वोट क्या, जान भी दे सकते हैं।
- 545 सदस्यों वाली लोकसभा में मौजूदा समय में 535 सांसद हैं। अविश्वास प्रस्ताव गिराने के लिए भाजपा को 268 सांसद चाहिए। भाजपा के पास अभी 273 सदस्य हैं। भाजपा के सहयोगी दल अकाली दल के 4, आरएलएसपी के 3, जेडीयू के 2, अपना दल के 2, शिवसेना के 18, एलजेपी के 6 और अन्य के 6 सदस्य हैं ऐसे में भाजपा की कुल संख्या 314 पहुंच रही है। अगर सहयोगी दल साथ न भी तो भी सरकार यह प्रस्ताव जीत लेगी।
- TMC, CPM, NCP, SP, RJD और AAP व टीडीपी एक धड़ा भले ही कांग्रेस के खेमे में हो लेकिन AIADMK, BJD और टीआरएस दूसरा धड़ा भी कम नहीं है। इनका संसद में आंकड़ा 70 है। इस धड़े के मैंबर भले ही मोदी के खिलाफ बयानबाजी करते हों लेकिन माना जा रहा है कि वे अविश्वास प्रस्ताव से दूर रह सकते हैं, जो कि मोदी के पक्ष में हो सकता है।