रेलवे के निजीकरण पर विपक्ष ने साधा सरकार पर निशाना, कहा- यह देशहित में नहीं

Edited By Yaspal,Updated: 15 Mar, 2021 05:15 PM

opposition targeted the government on privatization of railways

लोकसभा में विपक्ष ने सरकार पर रेलवे के निजीकरण का आरोप लगाया और कहा कि इसके कितने दुष्परिणाम होते हैं यह विदेशों से सीखा जाना चाहिए जबकि सत्ता पक्ष ने कहा कि सरकार रेलवे को मजबूती प्रदान कर उसे किसान और आम जनता के लिए ज्यादा उपयोगी बना रही है।...

नई दिल्लीः लोकसभा में विपक्ष ने सरकार पर रेलवे के निजीकरण का आरोप लगाया और कहा कि इसके कितने दुष्परिणाम होते हैं यह विदेशों से सीखा जाना चाहिए जबकि सत्ता पक्ष ने कहा कि सरकार रेलवे को मजबूती प्रदान कर उसे किसान और आम जनता के लिए ज्यादा उपयोगी बना रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रामकृपाल ने वर्ष 2021-22 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदान माँगों पर पिछले सप्ताह शुरू की गयी चर्चा को आगे बढाते हुए आज कहा कि केंद्र सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए हर कदम उठा रही है और अपनी इसी प्रतिबद्धता के तहत किसान रेल सेवा शुरू करने जैसे अभूतपूर्व कदम उठाए गये हैं।

देश में किसानों के हित में 41 मार्गों पर किसान रेल सेवा शुरू करने से किसानों को अपने उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की सरल यातायात सुविधा मिल रही है और इस सुविधा के लिए 50 फ़ीसदी तक सब्सिडी भी मुहैया कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले शासन में रेल तीन-चार घंटे देरी से चलती थी लेकिन अब ट्रेनें समय से आधा घंटा पहले ही स्टेशन पर पहुँच जाती है।

कांग्रेस के अमर सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के आने के बाद से सरकार रेल को निंरतर निजीकरण की तरफ ले जाया जा रहा है और भाजपा के शासन में देश के इस बसे बड़े तंत्र का आंतरिक राजस्व लगातार घट रहा है। उन्होंने कहा कि रेलवे को निजीकरण से देश की जनता का हित नहीं होगा। उनका कहना था कि निजीकरण की तरफ रेल को मोड़ने से पहले इंग्लैंड जैसे देशों के हालात देखने की आवश्यकता थी जहां नब्बे के दशक में रेलवे का निजीकरण हुआ तो आज वहां रेल ढांचा बर्बादी की कगार पर पुहंच गया है।

उन्होंने कहा कि रेलवे के निजीकरण का दुनिया के जिन देशों ने कदम उठाया है वहां रेलवे के हालात बहुत खराब हैं और स्थिति यहां तक पहुंच गयी है कि निजी कंपनियों ने रेलवे का संचालन ही बंद कर दिया है। किराया बहुत बढाया गया है और सरकार को मजबूरी में रेलों के संचालन के लिए आगे आना पड़ रहा है। यही स्थिति बुलेट ट्रेन की भी है। सरकार को देखना चाहिए कि क्या यह ट्रेन भारत के अनुकूल हैं और जहां इनका संचालन किया जा रहा है क्या इन ट्रेनों का संचालन वहां सफलतापूर्वक चल रहा है।

सिंह ने कहा कि सरकार को रेलवे का निजीकरण नहीं बल्कि उसे और सरकारीकरण की तरफ ले जाना चाहिए। उनका कहना था कि देश के लोगों को रेलवे की बेहतर सुविधा देनी है तो इसका निजीकरण रोकना होगा। दूसरी श्रेणी के डिब्बे में सुविधा बढ़ायी जानी चाहिए क्योंकि इन डिब्बों में पूरा हिंदुस्तान बसता है। देश की बड़ी आबादी इन्हीं डिब्बों में सफर करती हे इसलिए इनकी संख्या घटाने की बजाय बढ़ायी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को हानि पहुंचाने के लिए सरकार को सचखंड तथा हेमकुंड साहिब जैसी रेलों के मार्ग बदलने नहीं चाहिए।

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