कांग्रेस की बैठक में फैसला, राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव में विपक्ष की तरफ से होगा उम्मीदवार

Edited By Yaspal,Updated: 08 Sep, 2020 06:06 PM

opposition will be candidate for election of deputy chairman of rajya sabha

कांग्रेस ने मंगलवार को निर्णय किया कि राज्यसभा के उप सभापति के चुनाव के लिए विपक्ष की तरफ से साझा उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा और इसके लिए समान विचारधारा वाले सभी दलों को साथ लेने का प्रयास होगा। सूत्रों के अनुसार, संसद के मानसून सत्र से पहले कांग्रेस...

नई दिल्लीः कांग्रेस ने मंगलवार को निर्णय किया कि राज्यसभा के उप सभापति के चुनाव के लिए विपक्ष की तरफ से साझा उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा और इसके लिए समान विचारधारा वाले सभी दलों को साथ लेने का प्रयास होगा। सूत्रों के अनुसार, संसद के मानसून सत्र से पहले कांग्रेस की रणनीति समूह की बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि सीमा पर चीन के साथ गतिरोध, कोरोना वायरस संकट और जीडीपी विकास दर में गिरावट समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार को घेरा जाएगा। सत्र 14 सितंबर से आरंभ हो रहा है।

सूत्रों ने को बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में हुई रणनीतिक समूह की डिजिटल बैठक में तय हुआ कि उप सभापति पद के चुनाव के लिए विपक्ष का का साझा उम्मीदवार खड़ा करने के साथ संप्रग के घटक दलों और समान विचारधारा वाले अन्य दलों को साथ लेने का प्रयास किया जाएगा। उनके मुताबिक, उप सभापति पद के लिए विपक्ष की तरफ से किस पार्टी का उम्मीदवार होगा और कौन होगा, इस बारे में सहयोगी दलों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। गौरतलब है कि ऊपरी सदन में जदयू के राज्यसभा सदस्य हरिवंश का कार्यकाल समाप्त हो जाने के बाद यह पद रिक्त हो गया है। हरिवंश फिर से राज्यसभा के सदस्य चुने गए हैं।

कांग्रेस की बैठक में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, उप नेता आनंद शर्मा, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, दोनों सदनों के मुख्य सचेतक, पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी और कुछ अन्य नेता शामिल हुए। आजाद, शर्मा और तिवारी उन 23 नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने कांग्रेस में व्यापक संगठनात्मक बदलाव की मांग को लेकर सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के बाद पत्र लिखने वाले इन नेताओं का पार्टी नेतृत्व से आमना-सामना हुआ है।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, रणनीतिक समूह की डिजिटल बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि पार्टी सरकार की ओर से संसद की मंजूरी के लिए लाए जा रहे कुछ अध्यादेशों का विरोध करेगी। इन अध्यादेशों में दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) में संशोधन संबंधी अध्यादेश और पीएम केयर्स कोष में अनुदान पर आयकर में शत प्रतिशत की कटौती से संबंधित अध्यादेश प्रमुख हैं।

बैठक के बाद कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘‘हम भारतीय सीमा में चीन की घुसपैठ, कोरोना वायरस संकट और अर्थव्यवस्था की बदहाली पर चर्चा की मांग करेंगे। इन मुद्दों को लेकर सरकार को पुरजोर ढंग से घेरने का प्रयास होगा।'' उन्होंने कहा कि सांसदों के वेतन में कटौती एवं सांसद निधि के निलंबन से जुड़े अध्यादेश पर यह फैसला हुआ कि कांग्रेस वेतन में कटौती के प्रावधान का समर्थन करेगी, लेकिन सांसद निधि के निलंबन का विरोध करेगी। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के इस रणनीतिक समूह की बैठक में सोनिया गांधी ने आगामी सत्र के दौरान सहयोगी दलों के साथ बेहतर समन्वय की जरूरत पर जोर दिया। राहुल गांधी ने भी इन मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की पैरवी की।

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