Edited By Yaspal,Updated: 02 Sep, 2020 08:59 PM
संसद के आगामी सत्र में प्रश्नकाल समाप्त करने पर भारी हंगामे के बाद सरकार ने कहा है कि वह "अतारांकित प्रश्न" की इजाजत देगी, जिसका अर्थ है कि लिखित उत्तर प्राप्त होंगे। सरकार के इस दावे के बाद यह मोड़ आया कि विपक्ष के नेताओं के साथ चर्चा के बाद ही...
नई दिल्लीः संसद के आगामी सत्र में प्रश्नकाल समाप्त करने पर भारी हंगामे के बाद सरकार ने कहा है कि वह "अतारांकित प्रश्न" की इजाजत देगी, जिसका अर्थ है कि लिखित उत्तर प्राप्त होंगे। सरकार के इस दावे के बाद यह मोड़ आया कि विपक्ष के नेताओं के साथ चर्चा के बाद ही प्रश्नकाल रोका गया था। उस समय तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ 'ब्रायन के अलावा किसी ने आपत्ति नहीं जताई थी।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि लोकसभा में टीएमसी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने इस कदम पर सहमति जताई है। उन्होंने बताया कि "यह अच्छा नहीं है कि सहमत होने के बाद नेता सार्वजनिक रूप से यह कहना शुरू कर देते हैं कि वे सहमत नहीं हैं। पांच माह के अंतराल के बाद 14 सितंबर को शुरू हो रहे संसद के संक्षिप्त सत्र में प्रश्नकाल स्थगित करने की योजना है। इस पर कई नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है।
सत्र के रोज के समय में लगभग चार घंटे की कटौती के साथ सरकार ने प्राइवेट मेंबर के बिजनेस को रोक दिया है। सांसदों द्वारा लाए जाने वाले बिलों के लिए एक घंटे का समय निर्धारित किया गया है। शून्य काल में सदस्य सार्वजनिक महत्व के मामले उठा सकेंगे। इसे 30 मिनट तक सीमित कर दिया गया है।
विपक्ष का तर्क है कि इससे उसे उन मामलों को उठाने और चर्चा करने का अवसर नहीं मिलता है, जिन्हें वे महत्वपूर्ण मानते हैं। इस मामले में सबसे मुखर डेरेक ओ ब्रायन हुए, जिन्होंने सरकार पर कोरोना वायरस के नाम पर "लोकतंत्र की हत्या" करने का आरोप लगाया।