अपने अंतिम राष्ट्र के नाम संबोधन में बोले निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद- भारत का लोकतंत्र सभी को मौका देता है

Edited By Yaspal,Updated: 24 Jul, 2022 07:40 PM

outgoing president ram nath kovind said in his address to the nation

निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को राष्ट्रपति भवन से अपना अंतिम राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। उन्होंने सभी देशवासियों का आभार जताया है। कार्यकाल के दौरान सभी का सहयोग मिला। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि सैनिकों में देशप्रेम की अद्भुत भावना...

नेशनल डेस्कः निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को राष्ट्रपति भवन से अपना अंतिम राष्ट्र के नाम संबोधन दिया। उन्होंने सभी देशवासियों का आभार जताया है। कार्यकाल के दौरान सभी का सहयोग मिला। राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि सैनिकों में देशप्रेम की अद्भुत भावना होती है। निष्ठावान आम नागरिक ही वास्तविक निर्माता हैं। उन्होंने कहा कि मैं देश के लिए कुछ करना चाहता था। कार्यकाल के दौरान प्रतिभावान लोगों से मिला हूं। उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र सभी को मौका देता है।

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि कानपुर देहात जिले के परौंख गांव के अति साधारण परिवार में पला-बढ़ा राम नाथ कोविन्द आज आप सभी देशवासियों को संबोधित कर रहा है, इसके लिए मैं अपने देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की शक्ति को शत-शत नमन करता हूं। राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान अपने पैतृक गांव का दौरा करना और अपने कानपुर के विद्यालय में वयोवृद्ध शिक्षकों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना मेरे जीवन के सबसे यादगार पलों में हमेशा शामिल रहेंगे।

रामनाथ कोविंद ने कहा कि अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की विशेषता है। मैं युवा पीढ़ी से यह अनुरोध करूंगा कि अपने गाँव या नगर तथा अपने विद्यालयों तथा शिक्षकों से जुड़े रहने की इस परंपरा को आगे बढ़ाते रहें। उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान पूरे देश में पराधीनता के विरुद्ध अनेक विद्रोह हुए। देशवासियों में नयी आशा का संचार करने वाले ऐसे विद्रोहों के अधिकांश नायकों के नाम भुला दिए गए थे। अब उनकी वीर-गाथाओं को आदर सहित याद किया जा रहा है।

कोविंद ने कहा कि तिलक और गोखले से लेकर भगत सिंह और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस तक; जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुकर्जी से लेकर सरोजिनी नायडू और कमलादेवी चट्टोपाध्याय तक - ऐसी अनेक विभूतियों का केवल एक ही लक्ष्य के लिए तत्पर होना, मानवता के इतिहास में अन्यत्र नहीं देखा गया है।

निवर्तमान राष्ट्रपति ने कहा कि संविधान सभा में पूरे देश का प्रतिनिधित्व करने वाले अनेक महानुभावों में हंसाबेन मेहता, दुर्गाबाई देशमुख, राजकुमारी अमृत कौर तथा सुचेता कृपलानी सहित 15 महिलाएं भी शामिल थीं। संविधान सभा के सदस्यों के अमूल्य योगदान से निर्मित भारत का संविधान, हमारा प्रकाश-स्तम्भ रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था। हमें केवल उनके पदचिह्नों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है।

कोविंद ने कहा, 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए हमारा देश सक्षम हो रहा है, यह मेरा दृढ़ विश्वास है। उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल के पांच वर्षों के दौरान, मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। मैं डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, डॉक्टर एस. राधाकृष्णन और डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों का उत्तराधिकारी होने के नाते बहुत सचेत रहा हूं।

कोविंद ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का संकट हमारी धरती के भविष्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। हमें अपने बच्चों की खातिर अपने पर्यावरण, अपनी जमीन, हवा और पानी का संरक्षण करना है। मैं सभी देशवासियों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। भारत माता को सादर नमन करते हुए मैं आप सभी के उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामना करता हूं।

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