Edited By vasudha,Updated: 21 Aug, 2019 12:58 PM
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कश्मीर की विस्फोटक स्थिति पर एक बार फिर मध्यस्थता की पेशकश ने राजनीतिक गलियारों में तूफान मचा दिया है...
नेशनल डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कश्मीर की विस्फोटक स्थिति पर एक बार फिर मध्यस्थता की पेशकश ने राजनीतिक गलियारों में तूफान मचा दिया है। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मसला सुलझाया जाना है तो फिर अमेरिकी राष्ट्रपति से इस बारे में बाचतीत करने की क्या जरुरत है।
ओवैसी ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि क्या भारत में हिंदू-मुसलमान समस्या है? अगर नहीं तो डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर सरकार चुप क्यों है? स्पष्ट नहीं करके क्या हम स्वीकार कर रहे हैं कि हमें दोनों समुदायों से कोई समस्या है? दरअसल ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्य़स्थता की इच्छा जताते हुए कहा कि कश्मीर बेहद जटिल जगह है। यहां हिंदू हैं और मुसलमान भी और मैं नहीं कहूंगा कि उनके बीच काफी मेलजोल है। मध्यस्थता के लिए जो भी बेहतर हो सकेगा, मैं वो करूंगा।
वहीं इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने फोन पर ट्रंप से बात करने और एक द्विपक्षीय मुद्दे पर चर्चा करने से मैं आश्चर्यचकित और दुखी हूं। पीएम मोदी का ये कदम ट्रंप के मध्यस्थता के दावे की पुष्टि करता है। यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी भी तीसरे पक्ष को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या ट्रंप कोई 'पुलिसमैन' हैं या 'चौधरी' हैं, जो इस मुद्दों को हल कर सकते हैं।
गौरतलब है कि 19 अगस्त को पीएम मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत कर उनको पाकिस्तान की तरफ से दिए जा रहे भारत-विरोधी उग्र बयानों से अवगत कराया था। पीएम मोदी ने क्षेत्र के कुछ नेताओं द्वारा दिए जा रहे भारत विरोधी उग्र और हिंसा भड़काने वाले बयान का जिक्र करते हुए कहा था कि यह शांति के लिए अनुकूल नहीं है।