'कोरोना के डर से अपनों ने ही छोड़ दिया साथ', विदेश से लौटे भारतीय छात्रों का छलका दर्द

Edited By vasudha,Updated: 01 Apr, 2020 09:08 AM

pain of indian students returned from abroad

कोरोना वायरस से बचने के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों से भारत लौटे भारतीय छात्रों का स्थानीय लोग पूर्वाग्रहों से ग्रसित होकर बहिष्कार कर रहे हैं। उन्हें सामाजिक कलंक और विद्वेष जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय नागरिक उनकी ट्रैवल...

नेशनल डेस्क: कोरोना वायरस से बचने के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों से भारत लौटे भारतीय छात्रों का स्थानीय लोग पूर्वाग्रहों से ग्रसित होकर बहिष्कार कर रहे हैं। उन्हें सामाजिक कलंक और विद्वेष जैसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय नागरिक उनकी ट्रैवल हिस्ट्री को लेकर विभिन्न प्रकार की दुश्मनी भरी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कई छात्रों ने पहचान उजागर न करते हुए हैरतअंगेज कमैंट किए हैं।

 

कभी-कभी कलंक घर से भी शुरू हो जाता है। इटली के सिएना विश्वविद्यालय में मास्टर डिग्री कर रहे 25 वर्षीय छात्र का 19 मार्च को भारत पहुंचते ही कोविड-19 का टैस्ट किया गया जो नैगेटिव आया। वह अब कालीकट में घर पर ही क्वारंटाइन है। घर पहुंचने से पहले ही उसके माता-पिता एक रिश्तेदार के पास चले गए। वह डरा हुुआ है और उदास है। उसने कहा कि मेरी मां मुझे खाना देने आती है लेकिन वह घर की चौखट पर रख कर वापस चली जाती है। मेरे पड़ोसी दूर रहते हैं और ऐसी अफवाहें फैला रहे हैं जैसे मैं वास्तव में ही कोरोना पॉजीटिव हूं। मैंने पुलिस से शिकायत की है। अब मुझे दूसरी टैस्ट रिपोर्ट का इंतजार है। विदेशों से घर लौटने वाले दर्जनों छात्रों की लगभग एक जैसी दास्तां है लेकिन चेन्नई में ब्रिटेन से लौटी एक छात्रा की कहानी कुछ और ही है। वह कहती है कि क्वारंटाइन दौरान पड़ोसियों ने उसकी मदद की। 

 

जान-पहचान वाले, पड़ोसी, परिवार और दोस्तों ने इन छात्रों के भारत लौटने पर कन्नी काट ली है। फर्जी खबरें या अफवाहें फैलाई जा रही हैं, यहां तक कि उनके बारे में पुलिस को कॉल कर शिकायतें की जा रही हैं। इटली से लौटे एक छात्र के बारे में अफवाह फैला दी गई कि वह मंदिर गया था, जिससे उसे विद्वेष का सामना करना पड़ा जबकि उसका कहना है कि वह घर पर ही था। क्वारंटाइन में रह रही तेलंगाना की एक छात्रा कहती है कि उसके पड़ोसी मेरे माता-पिता से बात करने से डर रहे हैं। बेंगलूरकी एक और यंग वुमन स्टूडैंट कहती है कि घर लौटने पर उसने बहुत ही कष्टदायक समय गुजारा। थक-हारकर अब वह बहुत दूर अपने गांव चली गई है। विदेश से लौटने वाले कई छात्रों के माता-पिता को अपार्टमैंट ब्लॉकों में विद्वेष का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली के एक माता-पिता ने कहा कि पड़ोस की करियाने की दुकान पर जाना उसके लिए एक कटु अनुभव बन गया। उसने कहा कि यहां तक कि स्थानीय व्यवसायी भी कभी-कभी सामान देने के लिए तैयार नहीं होते हैं। कोलकाता के एक अन्य माता-पिता ने कहा कि उसके साथ उन पड़ोसियों ने दुव्र्यवहार किया जो उन्हें लंबे समय से जानते थे।

 

कोलकाता कॉम्पलैक्स में रहने वाले परिवार के एक सदस्य ने कहा कि घर लौटने पर एक बार हम ऐसे छात्रों का बहिष्कार करेंगे। हालांकि, कुछ छात्रों का कहना है कि विदेश से घर लौटना बेहतर है और आधिकारिक क्वारंटाइन प्रक्रिया में उनका अनुभव काफी हद तक सकारात्मक रहा है। बोस्टन विश्वविद्यालय में कम्प्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री करने वाली एक छात्रा कहती है कि वह बेंगलूर में घर वापस आने के लिए एक ‘भूतिया शहर’ से भाग आई थी। उसने कहा कि वह विदेश में बहुत तनाव में थी। शुरू में टैस्ट या क्वारंटाइन के बारे में आशंकित थी लेकिन जल्दी टैस्ट होने पर राहत मिल गई। राज्य में क्वारंटाइन छात्रों के स्वाभाविक रूप से कई अनुभव हैं। एक विचलित छात्र ने ट्वीट कर शिकायत की कि दिल्ली के द्वारका में एक पुलिस प्रशिक्षण स्कूल कैंप में उसके साथ अनहोनी हो गई। इसके विपरीत एक 26 वर्षीय गुंटूर निवासी जो इटली में मास्टर डिग्री कर रहा है, ने एन.सी.आर. में लगे आई.टी.बी.पी. कैंप की काफी सराहना की। ईरानी विश्वविद्यालय से लौटे एक छात्र जो जैसलमेर में क्वारंटाइन है, का कहना है कि उसने शर्तों या चिकित्सा सेवाओं के बारे में कोई शिकायत नहीं की है।

 

गैर-जिम्मेदार लोगों की वजह से ही हमारे परिवार खतरे में: मीरचंदानी  
पुणे के मनोचिकित्सक दयाल मीरचंदानी ने कहा कि कोरोना को लेकर लोगों में बहुत अधिक डर है इसलिए सहानुभूति और हमदर्दी कम हो गई है। कुछ छात्रों द्वारा इस समस्या की शिकायत करना ‘अपरिपक्वता’ है। ऐसे छात्र विद्रोह करने पर दुत्कारे जाएंगे। क्वारंटाइन या एकांत किसी भी उम्र में कठिन है और खासकर युवाओं के लिए।’’ उन्होंने कहा कि आप दोस्तों और स्काइप आदि से भी कट गए हैं, आमने-सामने बात नहीं हो पा रही है। विदेश से लौटे ऐसे छात्रों के कई उदाहरण हैं जिन्होंने जानबूझकर नियमों की धज्जियां उड़ाईं-जैसे पश्चिम बंगाल का पहला कोरोना पॉजीटिव केस, 18 वर्षीय छात्र जो कि एक नौकरशाह का बेटा है और ब्रिटेन से लौटा है। मीरचंदानी ने कहा कि इस छात्र जैसे गैर-जिम्मेदार लोगों की वजह से ही हमारे परिवार खतरे में हैं। 

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