Edited By Seema Sharma,Updated: 08 Dec, 2019 01:00 PM
राष्ट्रीय राजधानी में रानी झांसी रोड पर अनाज मंडी स्थित एक फैक्ट्री में गहरी नींद में सोए लोगों को आभास भी नहीं होगा कि सुबह का मंजर इतना भयावह होगा। 43 लोगों ने सोचा भी न होगा कि वे अगली सुबह का सूरज देख नहीं पाएंगे। रविवार तड़के राजधानी में रानी...
नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी में रानी झांसी रोड पर अनाज मंडी स्थित एक फैक्ट्री में गहरी नींद में सोए लोगों को आभास भी नहीं होगा कि सुबह का मंजर इतना भयावह होगा। 43 लोगों ने सोचा भी न होगा कि वे अगली सुबह का सूरज देख नहीं पाएंगे।
रविवार तड़के राजधानी में रानी झांसी रोड पर अनाज मंडी स्थित तीन मंजिला इमारत में आग लगने से 43 लोगों की मौत हो गई है और करीब 56 लोग घायल हुए हैं। इनमें अधिकतर मजदूर हैं।
आग लगने की खबर के तुरंत बाद मौके पर पहुंची दमकल की गाड़ियों ने जल्द ही आग पर काबू पा लिया लेकिन इलाका काफी संकरा होने के कारण बचाव कार्य में काफी दिक्कतें आईं। आग पहले अनाज मंडी में लगी, उसके बाद तीसरी मंजिल पर चल रही पैकेजिंग फैक्ट्री में लग गई।
आग की चपेट में आए लोगों को दिल्ली के पांच अस्पतालों में पहुंचाया गया। जख्मी लोगों को लोक नायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी), लेडी हार्डिंग्स ,सफरगंज आदि अस्पतालों में पहुंचाया गया। इस भीषण अग्निकांड में जिन लोगों की मौत हुई, उनमें से ज्यादातार दम घुटने से भी मारे गए हैं।
डॉक्टरों के मुताबिक कुछ लोगों को बेहोशी की हालत में इलाज के लिए लाया गया था, बाद में वे मृत पाए गए। इस भीषण अग्निकांड का असर आसापास की इमारतों पर भी पड़ा और वहां एक घना धुआं छा गया। आग का कारण शॉर्ट शर्किट बताया जा रहा है। दो घरों की सीढ़ी एक थी इसलिए अफरा-तफरी में लोग सुरक्षित नहीं निकल पाए और आग में फंस गए।
100 से ज्यादा लोग करते थे इमारत में काम
चश्मदीदों के मुताबिक मृतकों में ज्यादातर बाहर के हैं, जिनमें बिहार और यूपी के लोग शामिल हैं। बिल्डिंग में 100-150 लोग काम करते थे, यहां बैग बनाने का भी काम होता था जहां मजदूर दिन रात काम करते थे। यहां सिलाई-कढ़ाई और उससे जुड़े पैकिंग के काम होते थे। पुलिस के मुताबिक इस इलाके में घर एक दूसरे से जुड़े हैं, इसलिए मौतों का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।
रानी झांसी रोड में गलियां काफी संकरी हैं, जिस वजह से दमकल कर्मियों को घटनास्थल पर पहुंचने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हालांकि तमाम मुश्किलों के बावजूद कर्मियोंने लोगों को बाहर निकाला और बिना देर किए अस्पतालों में पहुंचाया।