Edited By Tanuja,Updated: 23 Mar, 2019 11:41 AM
. पाकिस्तान के लाहौर प्रशासन ने एक लेटर जारी किया, जिसमें तीनों के शहादत स्थल शादमान चौक को भगत सिंह चौक के तौर पर जिक्र किया। वहीं, प्रशासन ने भगत सिंह को क्रांतिकारी नेता भी बताया...
लाहौर. पाकिस्तान के लाहौर प्रशासन ने एक लेटर जारी किया, जिसमें तीनों के शहादत स्थल शादमान चौक को भगत सिंह चौक के तौर पर जिक्र किया। वहीं, प्रशासन ने भगत सिंह को क्रांतिकारी नेता भी बताया। पाक ने पहली बार भगत सिंह को क्रांतिकारी माना है। लाहौर में शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का 88वां शहीदी समागम शनिवार को मनाया जाएगा जिसके लिए कड़ी सुरक्षा मुहैया करने के भी आदेश दिए गए हैं।
भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के चेयरमैन इम्तियाज राशिद कुरैशी की पहल पर शादमान चौक पर हर साल शहीदी समागम होता है। कई बार कट्टरपंथियों ने ऐतराज जताया, लेकिन कुरैशी ने समागम मनाना बंद नहीं किया। इस बार 88वां शहीदी समागम शनिवार शाम मनाने जा रहे हैं। उन्होंने 19 मार्च को डीसी लाहौर को सुरक्षा मुहैया करवाने की मांग की थी। उनकी अर्जी को मंजूरी दे दी गई। डीसी की तरफ से जारी लेटर में समागम वाले स्थान को भगत सिंह चौक (शादमान चौक) लिखा गया है। पहला मौका है जब जिला प्रशासन ने भगत सिंह को क्रांतिकारी माना है। इम्तियाज यह मांग लंबे समय से उठाते आ रहे हैं।
उन्होंने इसके लिए अदालत का दरवाजा भी खटखटाया था। अदालत ने लाहौर के मेयर को इस पर काम करने के निर्देश दिए थे। शादमान चौक वही जगह है जहां शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने (23 मार्च 1931 को) फांसी दी थी। कुरैशी ने बताया कि हम चौक का नाम बदलने की मांग लंबे समय से करते आ रहे थे। अब चाहते हैं को इस चौक पर भगत सिंह की प्रतिमा लगाई जाए। इसके अलावा हम उन्हें (भगत सिंह) निशान-ए-हैदर का खिताब देने की भी मांग भी कर रहे हैं।