Edited By Tanuja,Updated: 05 Aug, 2020 03:44 PM
इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने पाकिस्तान सरकार को कुलभूषण जाधव मामले भारत को ''एक और मौका'' देने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट के इस ...
इस्लामाबादः इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने पाकिस्तान सरकार को कुलभूषण जाधव मामले भारत को 'एक और मौका' देने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट के इस आदेश से पाकिस्तान सरकार को बड़ा झटका लगा है। पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने कुलभूषण जाधव मामले में तीन वकीलों को न्याय मित्र बनाया है। न्यायालय मित्र वह होते हैं जो किसी मामले में कोर्ट की मदद करते हैं। अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए बड़ी बेंच बनाने का भी आदेश दिया। इस मामले में अब तीन सितंबर को बड़ी बेंच के समक्ष सुनवाई होगी।
इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि भारतीय अधिकारियों को भी कुलभूषण जाधव के लिए वकील नियुक्त करने का मौका दिया जाना चाहिए। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार की अपील पर हाई कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रही थी और उसने जाधव के लिए वकील नियुक्त करने की इजाजत दी है। फिलहाल, यह सुनवाई 3 सितंबर तक टाल दी गई है। भारतीय नेवी के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव के लिए इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने तीन वरिष्ठ वकीलों को 'न्याय मित्र' घोषित किया है।
इसके साथ ही कोर्ट ने पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान से कहा है कि भारत सरकार और जाधव को एक बार फिर बचाव के लिए काउंसिल तैनात करने का मौका दिया जाए। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद हाई कोर्ट डिविजन बेंच में शामिल चीफ जिस्टिस अताहर मिनाल्लाह और जस्टिस मियानगुल हसन औरंगजेब ने इस केस में गैरजरूरी बयानों को लेकर चेतावनी दी। कोर्ट ने कहा कि जाधव से संबंधित कोई भी बयान देने से पहले फेयर ट्रायल को जरूर ध्यान में रखें।
कोर्ट ने कहा, ''हम आबिद मंटो, सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील हामिद खान और पाकिस्तान के पूर्व अटॉर्नी जनरल व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मखदूम अली खान को कानूनी सहायता के लिए न्याय मित्र नियुक्त करते हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के फैसले को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके। अदालत के आदेश में कहा गया, ''हमें लगता है कि कमांडर जाधव की दोष सिद्धि और सजा की समीक्षा या उसपर पुनर्विचार करने की प्रभावी प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए जाधव और भारत सरकार को कानूनी प्रतिनिधि की व्यवस्था करने तथा याचिका दायर करने का उचित अवसर दिया जाना चाहिए।''