Edited By Tanuja,Updated: 16 Apr, 2018 03:30 PM
पाकिस्तान ने भारत से आए सिख तीर्थयात्रियों को भारतीय दूतावास के अधिकारियों से नहीं मिलने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इसमें सारा कसूर भारत का है । भारत द्वारा जताए विरोध के बाद पाक के विदेश मंत्रालय ने गलती मानने के बजाय उलटा आंखें दिखाते...
इस्लामाबादः पाकिस्तान ने भारत से आए सिख तीर्थयात्रियों को भारतीय दूतावास के अधिकारियों से नहीं मिलने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इसमें सारा कसूर भारत का है । भारत द्वारा जताए विरोध के बाद पाक के विदेश मंत्रालय ने गलती मानने के बजाय उलटा आंखें दिखाते भारत के विरोध को हास्यास्पद करार दिया है। पाक ने उल्टा भारत पर आरोप लगाया है कि उसने पाकिस्तान से गए तीर्थयात्रियों को वीजा न देकर 44 वर्ष पुराने प्रोटोकॉल को तोड़ा है।
पाकिस्तान के अखबार द डॉन ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री डॉक्टर मोहम्मद फैसल के मुताबिक भारत ने इस वर्ष 2 बार पाकिस्तान के तीर्थयात्रियों को वीजा देने से इंकार किया। पहला मौका हजरत निजामुद्दीन औलिया के उर्स के मौके पर और दूसरा अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर होने वाले उर्स के मौके पर। उन्होंने कहा कि ऐसा करके भारत ने जून 2017 से तीन बार सिख और हिंदु तीर्थयात्रियों के लिए धार्मिक स्थलों पर जाने वाले मौकों को गंवा दिया। पाक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भारत के आरोपों को पूरी तरह से निराधार करार दिया है। उन्होंने कहा कि भारत की तरफ से तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया था।
क्या है पूरा मामला
रविवार को भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से पाकिस्तान गए सिख तीर्थ यात्रियों से भारतीय दूतावास के अधिकारियों को मिलने से रोकने पर कड़ा विरोध जताया गया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि पाक ने न सिर्फ तीर्थयात्रियों को रोका बल्कि उन्हें जरूरी प्रोटोकॉल ड्यूटी भी नहीं निभाने दी। भारत का कहना था कि ऐसा बर्ताव दुर्व्यहार की श्रेणी में आता है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक यह एक सामान्य प्रक्रिया है कि भारतीय राजनयिकों को वहां जाने वाले सिख तीर्थयात्रियों से मिलने की छूट होती है।
काउंसलर और प्रोटोकॉल प्रक्रिया के तहत यह छूट दी जाती है। इसका उद्देश्य मैडीकल आपातकाल या अन्य किसी मुश्किल में एक-दूसरे की मदद करना होता है। भारत से 1800 सिख तीर्थ यात्री बैसाखी मनाने 10 दिन के लिए रावलपिंडी के गुरुद्वारा पंजा साहिब गए हैं। वे कुछ अन्य स्थानों पर भी जाएंगे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक यह तीर्थयात्री इवाक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के चेयरमैन के निमंत्रण पर वहां गए थे। अचानक ही उन्हें बीच रास्ते से अज्ञात सुरक्षा कारणों की वजह से वापस लौटने को बोल दिया गया।