काबुल विश्वविद्यालय में 2 नवंबर को हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी खुफिया ISI का हाथ सामने आने के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियां ...
इंटरनेशनल डेस्कः काबुल विश्वविद्यालय में 2 नवंबर को हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी खुफिया ISI का हाथ सामने आने के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। इस हमले में 25 लोगों की मौत हो गई थी। ISI के इशारे पर हिंसा और आतंकी गतिविधियों में संभावित वृद्धि के मद्देनजर भारतीय खुफिया एजेंसियों ने सतर्कता बढ़ा दी है। जानकारों का मानना है कि ISI ने अमेरिका पर दबाव बनाने के लिए अफगानिस्तान पर हमले बढ़ा दिए हैं।
काबुल विश्वविद्यालय में आंतकी हमला भी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों से ठीक एक दिन पहले किया गया था। सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि काबुल हमले से एक बार फिर साफ हो गया है कि पाकिस्तान विभिन्न आतंकी संगठनों के जरिए हमलों को अंजाम दे रहा है। है। हालांकि अफगान उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने काबुल हमले के लिए तालिबान की तरफ इशारा किया । भारतीय एजेंसियों ने कहा कि चाहे जो भी आंतकी दल हमले का दावा करे लेकिन खूनी खेल पाकिस्तान ISI की शह पर ही खेला जा रहा है।
नवीनतम खुफिया रिपोर्ट में बताया गया कि तालिबान ISKP और हक्कानी नेटवर्क के बीच पाकिस्तानी कार्डर्स की उपस्थिति गंभीर खतरे की ओर इशारा करती है। इन रिपोर्टों ने लगातार घटनाओं के माध्यम से सबूतों का दस्तावेजीकरण किया है जहां मारे गए आतंकवादियों के शवों को दफनाने के लिए पाकिस्तान वापस ले जाया गया है। मारे गए उग्रवादियों के शवों पर पाकिस्तानी आई-कार्ड भी पाए गए । काबुल विश्वविद्यालय हमले के वर्तमान मामले में भी पाया गया कि हमलावर पाकिस्तानी थे। एक अधिकारी ने कहा कि शहीद हुए छात्रों और उनके भाई के बीच बातचीत इस बात का प्रमाण है कि हमलावर पाक से थे और वे उर्दू में बातचीत कर रहे थे।
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