कश्मीर के अलगाववादी नेता को पाकिस्तान ने दिया सर्वोच्च नागरिक सम्मान, लंबे वक्त से है घर में नजरबंद

Edited By Yaspal,Updated: 28 Jul, 2020 05:28 PM

pakistan gives highest civilian honor to separatist leader of kashmir

पाकिस्तान ने कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ से सम्मानित करने का फैसला किया है। इसे लेकर पाकिस्तानी सीनेट में प्रस्ताव स्वीकार हो गया है। सीनेट ने सरकार से यह भी कहा है कि इस्लामाबाद...

इस्लामाबादः पाकिस्तान ने कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ से सम्मानित करने का फैसला किया है। इसे लेकर पाकिस्तानी सीनेट में प्रस्ताव स्वीकार हो गया है। सीनेट ने सरकार से यह भी कहा है कि इस्लामाबाद में प्रस्तावित एक विश्वविद्यालय का नाम भी गिलानी के नाम पर रखा जाए। प्रस्ताव में यह भी मांग की गई कि गिलानी की जीवनगाथा को राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।

पाक सीनेट यानी संसद के उच्च सदन ने सोमवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। सीनेट ने भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के खत्म किए जाने की पहली सालगिरह पर पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में बनी अपनी कथित विधानसभा में पांच अगस्त को विशेष सत्र बुलाने को भी अनुमति दी है। बता दें कि 90 वर्षीय सैयद अली शाह गिलानी ने करीब एक महीना पहले ही ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस में अपने 'आजीवन चेयरमैन' के पद से इस्तीफा दिया था।

इस सम्मान के पीछे पाक का मकसद क्या है?
गिलानी को यह सम्मान जम्मू-कश्मीर में वहां के लोगों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने के लिए दिया जा रहा है। पाक सीनेट ने प्रस्ताव पारित करते हुए कहा कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में रहते हुए भारतीय सेना और सरकारों के खिलाफ आवाज उठाई और जम्मू-कश्मीर के नागरिकों की आवाज बने। वहीं, कहा यह भी जा रहा है पाक सरकार और आईएसआई लंबे समय से गिलानी को किनारे लगाना चाहती थी और यह फैसला उनके इस्तीफे के बाद स्थितियां सुधारने के लिए कदम भर है।

पाक के इस फैसले का भाजपा ने किया विरोध
गिलानी को निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित करने के इस फैसले पर जम्मू-कश्मीर भाजपा ने विरोध प्रकट किया है। जम्मू-कश्मीर भाजपा के अध्यक्ष रविंदर रैना ने इसे लेकर रहा कि हु्र्रियत और पाकिस्तान में कोई अंतर नहीं है। दोनों एक ही हैं। यहां हुर्रियत के नेता पाकिस्तान के इशारों पर ही चलते हैं और कार्रवाइयों को अंजाम देते हैं, जिसका अंजाम जम्मू-कश्मीर के निर्दोष लोगों को भुगतना पड़ता है और उनकी जान जाती है।

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