भारत के किशनगंगा प्रोजैक्ट के उद्घाटन बाद विश्व बैंक पहुंचा पाकिस्तान

Edited By Tanuja,Updated: 21 May, 2018 10:59 AM

pakistan takes up kishanganga project issue with world bank

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जम्मू-कश्मीर में 330 मेगावॉट वाले किशनगंगा पनबिजली प्रॉजेक्ट के उद्घाटन करने के बाद 1960 के सिंधु जल समझौते के उल्लंघन का मुद्दा विश्व बैंक के सामने उठाने के लिए पाकिस्तान ने अपना 4 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल वॉशिंगटन रवाना...

इस्लामाबादः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जम्मू-कश्मीर में 330 मेगावॉट वाले किशनगंगा पनबिजली प्रॉजेक्ट के उद्घाटन करने के बाद 1960 के सिंधु जल समझौते के उल्लंघन का मुद्दा विश्व बैंक के सामने उठाने के लिए पाकिस्तान ने अपना 4 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल वॉशिंगटन रवाना कर दिया। पाकिस्तान इस प्रॉजेक्ट का विरोध करता रहा है।पाकिस्तान सिंधु नदी में भारत के कई प्रॉजेक्ट्स का यह कहकर विरोध करता रहा है कि वे वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में हुए सिंधु जल समझौते का उल्लंघन करते हैं। विश्व बैंक ने सिंधु और उसकी सहायक नदियों का पानी का बंटवारा करने के लिए यह समझौता करवाया था। अब सिंधु नदी पर पाकिस्तान की 80 प्रतिशत सिंचित कृषि निर्भर करती है। 

भारत का दावा है कि सिंधु नदी समझौते के तहत उसे पनबिजली परियोजना का अधिकार है और इससे नदी के बहाव में या फिर जलस्तर में कोई बदलाव नहीं आएगा।वॉशिंगटन में मीडिया से बातचीत के दौरान अमरीका में पाकिस्तानी उच्चायुक्त ऐजाज अहमद चौधरी ने कहा कि अटॉर्नी जनरल अश्तर ऑसफ अली के नेतृत्व में एक 4 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सोमवार को विश्व बैंक के अधिकारियों से बात करेगा। उन्होंने कहा, 'नीलम नदी पर बने किशनगंगा बांध के निर्माण पर इस बैठक में चर्चा होगी। यह भारत द्वारा सिंधु जल समझौते का उल्लंघन है।

पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल विश्व बैंक अध्यक्ष के सामने भी यह मुद्दा उठाएगा।' चौधरी ने कहा कि वर्ल्ड बैंक इस अंतर्राष्ट्रीय समझौते का गारंटर था और इसलिए, इस मामले में उसे अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हुए हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने कहा, 'यह बांध पाकिस्तान की तरफ आ रहे पानी पर बना है जिससे पानी की आपूर्ति पर गंभीर असर पड़ेगा, जो कि देश की कृषि व्यवस्था का अहम हिस्सा है। भारत इस विवादित क्षेत्र में कई प्रॉजेक्ट्स की योजना बना रहा है।' 

बता दें कि भारत ने साल 2007 में पहली बार किशनगंगा पनबिजली परियोजना पर काम शुरू किया था। इसके 3 साल बाद ही पाकिस्तान ने यह मामला हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में उठाया, जहां तीन साल के लिए इस परियोजना पर रोक लगा दी गई। साल 2013 में, कोर्ट ने फैसला दिया कि किशनगंगा प्रॉजेक्ट सिंधु जल समझौते के अनुरूप है और भारत ऊर्जा उत्पादन के लिए इसके पानी को डाइवर्ट कर सकता है। 

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