Edited By ,Updated: 10 Jun, 2016 05:30 PM
दहशत फैलाने के लिए आतंकी संगठन आईएसआईएस ने पिछले एक साल से एक और असरदार तरीका अपनाया है। जिन लोगों को उसे
दहशत फैलाने के लिए आतंकी संगठन आईएसआईएस ने पिछले एक साल से एक और असरदार तरीका अपनाया है। जिन लोगों को उसे निशाना बनाना है वह उनके नामों की सूची जारी कर देता है। इसमें सिर्फ उनके नाम ही नहीं होंते, बल्कि संबंधित लोगों के फोटो, फोन नंबर और घरों के पते भी दिए जाते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि आईएस यह काम खलबली मचाने के लिए कर रहा है, ताकि विभिन्न देशों की सरकारों को बुरी तरह हिलाया जा सके। इस सूची में वह अपने समर्थकों के लिए संदेश भी देता है कि वे इन खास लोगों को ढूंढकर उनकी हत्या कर दें।
हाल में आईएसआईएस ने करीब आठ हजार नामो वाली एक और 'किल लिस्ट' जारी की है। इसमें 7000 से अधिक अमरीकी नागरिकों के नाम हैं। इनमें सबसे ज्यादा सेना और सरकारी नौकरी करने वाले हैं। ये लोग खूब चर्चित और जनता की नजर में रहने वाले शाही लोग या सेलिब्रिटी हैं। क्या यह मान लिया जाए कि ऐसी सूची जारी करके लोगों को मानसिक रूप यंत्रणा देने की साजिश रच रहा है, ताकि वे खौफजदा होकर सिर्फ अपनी जान की हिफाजत में जुट जाएं। अपनी सारी गतिविधियां रोक दें। कमरों में बंद हो जाएं।
इन सूचियों को तैयार करता है आईएस हैकर्स ग्रुप। इसका पूरा नाम है यूनाइटेड साइबर कैलिफेट ग्रुप। इसमें कनाडाई, ऑस्ट्रेलियन और यूरोपीय देशों के लोग भी शामिल हैं। हाल में जारी की कुल 8318 लोगों की सूची एक मैसेजिंग एप पर दी गई है। इसमें सब के नाम, पते, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी तक हैं। हैकर्स ग्रुप का अपने समर्थकों से इस सूची को फॉलो करने का आग्रह किया है कि वे मुस्लिमों के लिए बदला लेने के लिए इनकी हत्या करें। यह अब तक की सबसे लंबी सूची है। इसमें 7,848 अमरीकी, 312 कनाडाई, 39 ब्रितानी और 69 ऑस्ट्रलियाई नागरिकों के नाम शामिल हैं। शुक्र है कि इनमें किसी भारतीय का नाम शामिल नहीं है।
बताया जाता हे कि यह समूह अन्य देशों के लिए भी सूची तैयार कर रहा है। इनमें बेल्जियम, ब्राजील, चीन, इस्टोनिया, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, ग्वांटेमाला, इंडोनेशिया, आयरलैंड, इजरायल, इटली, जमाइका, न्यूजीलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो, दक्षिण कोरिया और स्वीडन देशों के नागरिकों के नाम हो सकते हैं। यह जानकारी इन देशों के लिए अलर्ट है।
टेलीग्राम पर जारी की गई इस सूची में तमाम जानकारियां दी गई हैं, लेकिन इसमें यह साफ नहीं किया गया कि ये नाम कैसे और क्यों छांटे गए हैं। साथ ही, इनकी आईएस से क्या दुश्मनी है। हालांकि हैकर्स ग्रुप की इस सूची पर संदेह भी जाहिर किया गया है। जिन लोगों के नाम उसने दिए हैं अब संबंधित सरकारों को उनकी सुरक्षा के इतंजाम करने होंगे। इसमें राहत की बात यह है कि जिस टेलीग्राम नामक संदेश भेजने वाली ऐप सेवा में से इसे ढूंढ निकाला गया है, उसने सूची में दिए गए नामों की जानकारी देने से इनकार कर दिया है। इसे उचित कदम ही कहा जाएगा। अन्यथा नाम उजागर होने से वे लोग दहशत में आ जाते।
दो महीने पहले मार्च 2016 में आईएसआईएस ने 100 अमरीकी सोल्जर्स की ‘किल लिस्ट’ जारी की थी। इस लिस्ट में उनके नाम, पते व तस्वीरें भी दी गईं थीं। इस ‘किल लिस्ट’ में महिला सैन्य अधिकारियों के नाम भी शामिल थे। सूची में शामिल अधिकांश के नाम एक न्यूज आर्टिकल से उठाए गए थे। ये लोग इस्लामिक स्टेट पर किए गए हवाई हमलों में शामिल थे। इंटरनेट पर यह सूची संगठन की ‘इस्लामिक स्टेट हैकिंग डिविजन’ ने अपलोड की थी। हैकिंग डिविजन का दावा था कि यह जानकारी कई मिलिट्री सर्वर, डाटाबेस और ई-मेल में सेंधमारी कर निकाली गई थी।
अगले माह अप्रैल में आईएस के निशाने पर मुस्लिम धर्मगुरु भी आ गए। उसने अपनी विचारधारा से असहमति जताने वाले मुस्लिम धर्मगुरुओं के नामों की सूची जारी का दी। इन्हें ‘काफिर का इमाम’ बताते हुए समर्थकों को उनकी हत्या करने का फरमान सुनाया। यह सूची आईएस ने अपनी पत्रिका दाबिक में प्रकाशित की थी। इस पत्रिका के एक लेख में कहा गया कि पश्चिम में रहने वाले मुसलमान कैसे दावा कर सकते हैं कि उन्होंने खुद को अल्लाह के प्रति समर्पित कर दिया है।
मई के महीने में आईएसआईएस के हैकरों ने एक और सूची जारी कर दी। उसमें अमरीका के कम से कम 70 सैन्यकर्मियों को शामिल किया गया। इस सूची को टारगेट यूनाइटेड स्टेट्स मिलिट्री नाम दिया गया। इसे ट्विटर के माध्यम से सार्वजनिक किया गया था। इसमें जिन सैनिकों के नाम दिए गए वे सीरिया में किए गए ड्रोन हमलों में शामिल थे। तब आशंका जताई गई थी कि ये हैकर ब्रिटेन के रहने वाले हो सकते हैं। इन्होंने स्वयं को इस्लामिक स्टेट हैकिंग डिवीजन का बताया था। नामों के साथ इस सूची में सैन्यकर्मियों की तस्वीरें और उनके घर का पता भी दिया गया था।
आईएसआईएस ने यह दावा भी किया था कि ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय में उनका एक सदस्य है जो आने वाले समय में रक्षा मंत्रालय से संबंधित खुफिया जानकारी को सबसे सामने ला सकता है। उसके माध्यम से ब्रिटेन के रॉयल एयर फोर्स के ड्रोन संचालकों का पता लग सकेगा। ब्रिटिश सरकार को ऐसे दावों को गंभीरता से लेना चाहिए। यदि इसमें जरा भी चूक होती है तो हैकर्स उसकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं।
एक के एक सूची आने से यह साबित होता है कि आईएस के हैकर्स इतने सकिय हैं कि वे सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े जिन व्यक्तियों की तमाम जानकारियां उन्हें चाहिए वे उन्हें लेने में कामयाब हो रहे हैं। तभी सूची पर सूची जारी कर रहे हैं। उन्हें रोकने के लिए सभी सरकारों को समय रहते कड़े प्रबंध करने होंगे। कहीं ऐसा न हो कि वे उनके महत्वपूर्ण ई-मेल और अहम फैसलों से संबंधित फाइलों की जानकारी कंप्वूटरों से हासिल करने में यह आतंकी संगठन सफल हो जाए। सुरक्षा व्यवस्था की योजनाओं को विफल और तमाम प्रबंधों को ध्वस्त कर दें।