Edited By ,Updated: 04 Nov, 2015 02:02 AM
हाईकोर्ट ने मंगलवार को इंसास की जगह सैनिकों, खासकर अर्धसैनिक बलों को अत्याधुनिक एके-47 राइफल मुहैया कराने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है।
नई दिल्ली: हाईकोर्ट ने मंगलवार को इंसास की जगह सैनिकों, खासकर अर्धसैनिक बलों को अत्याधुनिक एके-47 राइफल मुहैया कराने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। अर्धसैनिक बलों को फिलहाल स्वदेशी इंसास राइफल से ही काम चलाना होगा। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता इंसास राइफल की कमियों को लेकर कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहा है।
चीफ जस्टिस जी. रोहिणी और जस्टिस जयंत नाथ की पीठ ने केंद्र सरकार की दलीलों को स्वीकार करते हुए यह फैसला दिया है। केंद्र ने हलफनामा दाखिल कर कहा था कि स्वदेशी इंसास राइफल को मौजूदा तकनीक और सैन्य बलों की जरूरतों, फीडबैक आदि को ध्यान में रखकर लगातार अपग्रेड किया जाता है।
हालांकि, सरकार ने यह जरूर कहा कि जहां तक इंसास राइफल की जगह सैनिकों, खासकर अर्धसैनिक बलों को एके-47 मुहैया कराने की बात है, तो इस पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए रक्षा मंत्रालय से भी विचार विमर्श कर रहे हैं।
याचिका में यह कहा गया
यह जनहित याचिका सेवानिवृत लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक मल्होत्रा ने दाखिल की थी। उन्होंने याचिका में कहा था कि इंसास राइफल में व्याप्त खामियों की वजह से आतंकी और नक्सली हमलों में सैनिक व अर्धसैनिक बलों के जवानों की जान जा रही है। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में घात लगाकर किए गए हमले में बीएसएफ के कई जवान इसलिए शहीद हो गए, क्योंकि उनके हथियार ने ठीक से काम नहीं किया। याचिका के मुताबिक, इंसास की खामियां वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भी देखी गई थी। एके-47 इंसास से सस्ती है और इसकी मारक क्षमता भी अधिक है।
केंद्र ने कहा, आरोप बेबुनियाद
केंद्र सरकार ने याचिकाकर्ता के इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है। सरकार ने पीठ को बताया कि किसी भी जांच आयोग ने हथियार की खामियों पर सवाल नहीं उठाया है। सरकार ने कहा कि किसी भी ऑपरेशन की सफलता सिर्फ हथियार पर निर्भर नहीं करती। इसके लिए दूसरी परिस्थितियां भी जिम्मेदार होती हैं।