Edited By Yaspal,Updated: 30 May, 2018 07:23 PM
उच्चतम न्यायालय ने उस फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि एक नाबालिग बच्चे पर उसके अभिभावक का अधिकार है।
नेशनल डेस्कः उच्चतम न्यायालय ने उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें कहा गया था कि एक नाबालिग बच्चे पर उसके अभिभावक का अधिकार है। फैसले में कहा गया था कि नाबालिग अपने हिसाब से किसी और के साथ रहने की इच्छा जाहिर नहीं कर सकता है। जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने सुनवाई में पाया कि गुजरात हाईकोर्ट की ओर से किया गया फैसला गलत है।
एक सुनवाई के दौरान जजों ने कहा कि यह सही नहीं हो सकता, अगर एक बार किसी नाबालिग के लिए कोई अभिभावक नियुक्त कर दिया जाए तो वह बच्चा अपने हिसाब से किसी और के साथ रहने की इच्छा नहीं जाहिर कर सकता है।
बेंच ने कहा कि ऐसे मामलों में बच्चे का भला सबसे जरूरी बात है। यह कैसे निर्धारित किया जा सकता है कि बच्चा अपनी इच्छा भी व्यक्त नहीं कर सकता है। एक बार जिसे अभिभावक नियुक्त कर दिया जाए। बच्चा उनकी कस्टडी में रहेगा। हम इस सिद्धांत के खिलाफ हैं।
सुप्रीम कोर्ट, गुजरात हाईकोर्ट के उस फैसले पर प्रतिक्रिया दे रहा था। जिसमें यह कहा गया था कि 18 साल से कम उम्र के नाबालिग के मामले में उससे जुडे सभी फैसले लेने का अधिकार उसके माता-पिता या कानूनन नियुक्त किए गए अन्य किसी अभिभावक को है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, अगर नाबालिग अपनी स्वेच्छा से अभिभावक के अलावा किसी और के साथ रहना चाहता है तो उसकी कस्टडी गार्जियन की इच्छा के बिना उसे नहीं दी जा सकती है।