संसद में आरक्षण को मंजूरी, अब बस एक हस्ताक्षर का इंतजार

Edited By Seema Sharma,Updated: 10 Jan, 2019 11:36 AM

parliament approves reservation now waiting for president signature

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गई।

नई दिल्लीः सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गई। अब इस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर का इंतजार है जिसके बाद यह बिल लागू हो जाएगा। राज्यसभा में बुधवार को करीब 10 घंटे तक चली बैठक के बाद संविधान (124वां संशोधन), 2019 विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से मंजूरी दे दी। लोकसभा में यह बिल मंगलवार को ही पास हो गया था।
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सत्तारुढ भाजपा और विपक्ष के लगभग सभी दलों ने विधेयक का समर्थन किया लेकिन द्रमुक, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव किया जिसे 18 के मुकाबले 155 मतों से खारिज कर दिया गया। इसके साथ इन दलों विधेयक में पेश किए संशोधन के प्रस्ताव भी खारिज कर दिए गए। कांग्रेस के साथ ही समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी और तृणमूल कांग्रेस ने विधेयक का समर्थन किया जबकि अन्नाद्रमुक, राष्ट्रीय जनता दल और आम आदमी पार्टी ने इसका विरोध किया। चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि सरकार अच्छी मंशा से इस बिल को लाई है जिससे सामान्य वर्ग के लोगों को शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।
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इनको मिलेगा आरक्षण का लाभ
प्रस्तावित कानून का लाभ ब्राह्मण, राजपूत (ठाकुर), जाट, मराठा, भूमिहार, कई व्यापारिक जातियों, कापू और कम्मा सहित कई अन्य अगड़ी जातियों को मिलेगा। अन्य धर्मों के गरीबों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा। ऐसे लोगों के पास नगर निकाय क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट या इससे ज्यादा क्षेत्रफल का फ्लैट नहीं होना चाहिए और गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 200 यार्ड से ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए। सालाना आय 8 लाख से कम हो। जो अभी तक किसी भी तरह के आरक्षण के अंतर्गत नहीं आते थे। जिनके पास 5 हेक्टेयर से कम की खेती की जमीन हो अब तक संविधान में एससी-एसटी के अलावा सामाजिक एवं शैक्षणिक तौर पर पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन इसमें आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का कोई जिक्र नहीं है।
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ये है मोदी कैबिनेट का फैसला
भाजपा के समर्थन का आधार मानी जाने वाली अगड़ी जातियों की लंबे समय से मांग थी कि उनके गरीब तबकों को भी आरक्षण दिया जाए। प्रस्तावित आरक्षण अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) को मिल रहे आरक्षण की 50 फीसदी सीमा के अतिरिक्त होगा, यानी आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए आरक्षण लागू हो जाने पर यह आंकड़ा बढकर 60 फीसदी हो जाएगा।

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