13 दिनों के गतिरोध के बाद सुचारु रूप से चली राज्यसभा की कार्यवाही

Edited By Anil dev,Updated: 03 Jan, 2019 02:22 PM

parliament rajya sabha m venkaiah naidu

संसद का शीतकालीन सत्र शुरु होने के बाद राज्यसभा में लगातार 13 दिनों से चल रहा गतिरोध टूटने के बाद बृहस्पतिवार को उच्च सदन में कामकाज सुचारू रूप से हुआ। सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन की बैठक शुरु होने पर इस सत्र में मात्र तीन दिन शेष रहने का जिक्र...

नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र शुरु होने के बाद राज्यसभा में लगातार 13 दिनों से चल रहा गतिरोध टूटने के बाद बृहस्पतिवार को उच्च सदन में कामकाज सुचारू रूप से हुआ। सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन की बैठक शुरु होने पर इस सत्र में मात्र तीन दिन शेष रहने का जिक्र करते हुए सभी सदस्यों से कामकाज को सुचारु रूप से चलाने की अपील की। उन्होंने पिछले 13 दिनों से व्याप्त गतिरोध पर दुख व्यक्त करते हुए कुछ सदस्यों द्वारा इस संबंध में मीडिया में दिए गए बयान पर नाराजगी जताई। 

नायडू ने दिया मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट का हवाला
नायडू ने मीडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा ‘‘कुछ सदस्य मीडिया में साक्षात्कार देने की हद तक जाकर कह रहे है कि सदन में गतिरोध दूर करने के लिए सभापति कुछ नहीं कर रहे हैं।’’ नायडू ने स्पष्ट किया, ‘‘सदन के रिकार्ड से स्पष्ट है कि मैंने हंगामा कर रहे सदस्यों से दस से अधिक बार बात की। इनमें से कुछ सदस्यों से मैंने व्यक्तिगत तौर पर भी बात करने के अलावा नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष से भी बातचीत की।’’ नायडू ने स्पष्ट किया कि उन्होंने गतिरोध दूर करने के लिए अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से भी बात की। उन्होंने सदस्यों द्वारा आसन की बात नहीं मानने पर दुख व्यक्त करते हुए कहा ‘‘हम काम करने में अक्षम साबित होकर सकारात्मक संदेश नहीं दे रहे हैं।’’ नायडू ने कहा कि पिछले 14 दिनों के दौरान तीन दिन अवकाश करना पड़ा।

सबरीमाला सहित अन्य अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए मिले नोटिस
नायडू ने कहा कि अवकाश के लिए आम सहमति कायम हो जाती है लेकिन सदन के कामकाज की बात पर तमाम सदस्यों के बीच अनेक मुद्दे उभर कर सामने आ जाते हैं। इसके बाद नायडू ने नियम 267 के तहत विधायिका में महिला आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा कराने का नोटिस मिलने की जानकारी देते हुए कहा कि यह मुद्दा महत्वपूर्ण है लेकिन इस पर शून्यकाल या किसी अन्य नियम के तहत चर्चा हो सकती है। उन्होंने कहा कि सबरीमाला सहित अन्य अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए नोटिस मिले हैं लेकिन समय के अभाव के कारण इन्हें स्वीकार कर पाना मुमकिन नहीं है। इसके बाद नायडू ने शून्यकाल की चर्चा शुरु कराई। इस सत्र में पहली बार संपन्न हुए शून्यकाल में 21 सदस्यों ने लोकमहत्व के विभिन्न मुद्दों को उठाया।  
 

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