Edited By shukdev,Updated: 23 Sep, 2018 08:44 PM
अगले महीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के यहां के दौरे से पहले, भारत ने रूस से कहा है कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में उसकी भागीदारी किसी देश के खिलाफ नहीं है और वह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए...
नई दिल्ली: अगले महीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के यहां के दौरे से पहले, भारत ने रूस से कहा है कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में उसकी भागीदारी किसी देश के खिलाफ नहीं है और वह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए वृहद ढांचे का इच्छुक है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी।
अमरीका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बड़ी भूमिका के लिए प्रयासरत है जिसे कई देश क्षेत्र में चीन के बढते दखल को रोकने के प्रयास के रूप में देख रहे हैं। हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत की भागीदारी का मुद्दा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तथा उनके रूसी समकक्ष सरजेई लावरोव के बीच बातचीत में प्रमुखता से उठा।
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हिंद-प्रशांत के लिए ‘समग्रता के नजरिए’ को स्वीकारते हुए रूसी पक्ष ने महसूस किया कि ऐसे देश हो सकते हैं जो अपने हितों को पूरा करने के लिए हिंद-प्रशांत संकल्पना में ‘हेरफेर’ करने का प्रयास कर रहे हों। हालांकि स्वराज ने स्पष्ट रूप से लावरोव से कहा कि भारत ने हमेशा जिम्मेदारी से काम किया है और वह हंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सभी को साथ लाने का प्रयास कर रहा है। एक सूत्र ने कहा,‘विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत की भागीदारी किसी देश के खिलाफ नहीं है।’