लोकसभा में एयरपोर्ट्स इकोनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी बिल पास

Edited By Pardeep,Updated: 02 Aug, 2019 11:39 PM

passes the airports economic regulatory authority bill in lok sabha

भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2019 लोकसभा में शुक्रवार को ध्वनिमत से पारित हो गया। यह विधेयक राज्यसभा में 16 जुलाई को पारित हो चुका है। इस विधेयक के जरिए ‘बड़े'' हवाई अड्डों की परिभाषा बदली जाएगी। अभी सालाना 15 लाख या...

नई दिल्लीः भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2019 लोकसभा में शुक्रवार को ध्वनिमत से पारित हो गया। यह विधेयक राज्यसभा में 16 जुलाई को पारित हो चुका है।
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इस विधेयक के जरिए ‘बड़े' हवाई अड्डों की परिभाषा बदली जाएगी। अभी सालाना 15 लाख या इससे ज्यादा यात्रियों की आवाजाही वाले हवाई अड्डे इस श्रेणी में आते हैं जबकि विधेयक में इसे बढ़ाकर 35 लाख या इससे ज्यादा करने का प्रस्ताव है। देश में बड़े हवाई अड्डों के लिए हवाई अड्डा शुल्क तय करने का अधिकार 2008 में गठित नियामक विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (एईआरए) के पास है। अभी 33 हवाई अड्डे उसके नियंत्रण में हैं। परिभाषा बदलने के बाद सिर्फ 16 हवाई अड्डे उसके नियंत्रण में रह जाएंगे। अन्य 17 का नियंत्रण नागरिक उड्डयन मंत्रालय के पास चला जाएगा।
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विधेयक पर सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि छोटे हवाई अड्डों का नियंत्रण एईआरए के हाथ से निकलने के बाद उनकी अनदेखी नहीं होगी। उन्होंने बताया कि सरकार छोटे हवाई अड्डों के विकास पर अगले चार साल में 10,000 करोड़ रुपए खर्च करेगी। उन्होंने कहा कि हाल में जिन छह हवाई अड्डों के निजीकरण की मंजूरी दी गई है उनमें मेंगलुरु को छोड़कर अन्य छह का नियंत्रण एईआरए के हाथ में ही रहेगा।
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पुरी ने कहा कि सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया के विनिवेश को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है। विनिवेश की निगरानी के लिए मंत्रियों का समूह गठित कर दिया गया है और जल्द इसकी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि विमान ईंधन पर कर ज्यादा होने से विमान सेवा कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसलिए वह स्वयं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बात कर विमान ईंधन को पेट्रोल और डीजल की श्रेणी से अलग कर करने की माँग करेंगे ताकि उसे वस्तु एवं सेवा कर में लाया जाये और उस पर कर कम हो सके।

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