Edited By Parminder Kaur,Updated: 04 Aug, 2024 10:58 AM
पंजाब के एक अस्पताल में एक नर्स ने मरीज की नस में इंजेक्शन लगाने की बजाय धमनी में इंजेक्शन दे दिया, जिससे मरीज की तीन अंगुलियां संक्रमण के कारण काटनी पड़ीं। केरल में एक नर्स ने मरीज को बुखार के लिए इंजेक्शन लगाया, जिससे मरीज का बायां हाथ अपंग हो...
नेशनल डेस्क. पंजाब के एक अस्पताल में एक नर्स ने मरीज की नस में इंजेक्शन लगाने की बजाय धमनी में इंजेक्शन दे दिया, जिससे मरीज की तीन अंगुलियां संक्रमण के कारण काटनी पड़ीं। केरल में एक नर्स ने मरीज को बुखार के लिए इंजेक्शन लगाया, जिससे मरीज का बायां हाथ अपंग हो गया। मध्य प्रदेश में एक मरीज को एलर्जिक रिएक्शन की जांच के बिना इंजेक्शन देने से उसका दायां हाथ सुन्न हो गया और उसकी 40% विकलांगता हो गई। तमिलनाडु में एक नर्स की लापरवाही से मरीज की नाक की कील (नोज रिंग) फेफड़ों में फंस गई।
ये घटनाएं दर्शाती हैं कि अस्पतालों में मरीजों के लिए गलत इलाज कैसे समस्याएं पैदा कर सकता है। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्यों में अस्पतालों के अध्ययन से पता चला है कि नसों में गलत दवा या इंजेक्शन देने, गलत मात्रा, गलत समय और गलत तरीके से दवा देने, और लाइफ सपोर्ट सिस्टम व सीपीआर की सही जानकारी न होने से मरीजों के लिए खतरे में बढ़ोतरी हो रही है।
ट्रेंड नर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रॉय जॉर्ज ने बताया कि देश में बीमारी से ज्यादा मरीजों की मौत इलाज में गड़बड़ी के कारण हो रही है। नर्सिंग के क्षेत्र में गलतियां हो रही हैं, और इसका बड़ा कारण है कि नर्सों को अपने काम की सही जानकारी नहीं होती। देश में 5,000 से अधिक नर्सिंग संस्थान हैं, जिनमें से 90% निजी हैं। इन संस्थानों से हर साल 3 लाख नर्सें प्रशिक्षित होकर निकलती हैं। लेकिन इनमें से केवल 20% संस्थान ही अच्छी तकनीकी और पेशेवर शिक्षा-प्रशिक्षण देते हैं। बाकी 80% संस्थान बिना पर्याप्त भवन और संसाधनों के केवल डिप्लोमा प्रदान करते हैं।
अस्पताल और नर्सिंग होम भी इन नर्सों को बहुत कम वेतन पर रखते हैं। कई बार नर्सें 3,000 रुपये महीने की पगार पर 10-12 घंटे काम करती हैं। मध्यम और बड़े अस्पतालों में भी हालात बहुत अलग नहीं हैं। इस कमी और लापरवाही के कारण इलाज में गड़बड़ी हो रही है, जो मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो रही है।